Book Title: Panchbhashi Pushpmala Hindi
Author(s): Pratap J Tolia
Publisher: Vardhaman Bharati International Foundation

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Page 25
________________ २३ पंचभाषी पुष्पमाला (३) तुम जो चाहते हो वह तुम्हें क्यों नहीं मिलता है ? (४) चित्रविचित्रता का प्रयोजन क्या है? १०. यदि तुम्हें धर्म का अस्तित्व प्रमाणभूत प्रतीत होता हो और उसके मूल तत्त्व में संदेह - आशंका हो तो नीचे कहता हूँ : ११. सर्वात्म में, सभी प्राणियों में समदृष्टि, - १२. अथवा, किसी प्राणी को जीवितव्य रहित प्राणरहित - न करो, उस की क्षमता से अधिक काम उसके पास से मत लो। किसी भी प्राणी की हिंसा मत करो । - १३. अथवा सत्पुरुषों ने जिस मार्ग का अनुसरण किया, उस मार्ग को ग्रहण करो । १४. मूल तत्त्व में कहीं भी भेद नहीं है, भेद केवलमात्र दृष्टि में है, ऐसा मानकर और आशय को समझकर पवित्र धर्म में प्रवर्तन करो । १५. तुम चाहे किसी भी धर्म को मानते हो, उसका मुझे कोई पक्षपात नहीं है। कहने का तात्पर्य केवल इतना ही है कि जिस मार्ग से संसारमल जिनभारती

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