Book Title: Panchbhashi Pushpmala Hindi
Author(s): Pratap J Tolia
Publisher: Vardhaman Bharati International Foundation

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Page 23
________________ ૨૧ पंचभाषी पुष्पमाला ॐ सत् पुष्पमाला बालज्ञानी श्रीमद् राजचन्द्रजी द्वारा प्रज्ञा-पुष्पित (प्रातःकाल को पावन करनेवाले कुछ पुष्प) १. बीत चुकी है रात, आया है प्रभात, मुक्त हुए हैं निद्रा से | प्रयत्न करें (अब) भाव निद्रा को टालने का। २. दृष्टिपात करें - व्यतीत रात्रि और विगत जीवन पर। ३. आनन्द मनाएँ सफल बने हुए समय के लिए और आज का दिन भी सफल बनाएँ। निष्फल बीते हुए दिन के लिए पश्चात्ताप करके निष्फलता को विस्मृत करें। ४. क्षण क्षण बीतते हुए अनंतकाल व्यतीत हुआ, फिर भी सिद्धि प्राप्त नहीं हुई! ५. यदि तुम्हारे द्वारा एक भी कृत्य सफल नहीं बन पाया हो, तो पुनः पुनः लज्जा अनुभव करें। एक जिनभारती क

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