Book Title: Panchbhashi Pushpmala Hindi
Author(s): Pratap J Tolia
Publisher: Vardhaman Bharati International Foundation

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Page 14
________________ पंचभाषी पुष्पमाला "आज की आचारसंहिता' और 'नीतिबोध'' के ग्रंथ जैसी पुष्पमाला के विषय में पू. गाँधीजी ने पंडितश्री सुखलालजी को कहा था कि, "अरे! यह पुष्पमाला तो पुनर्जन्म की साक्षी है !'* सर्वजन को हितकारक एवं सर्वजन को सुखदायक इस पुष्पमाला की सुगन्ध बहुजन समाज तक पहुँचे यह बहुत बड़े जनहित की बात है। पुष्पमाला के इस व्याप को दूर-सुदूर फैलाने के आशय से मूल गुजराती के उपरान्त हिन्दी मूल (तथा भावानुवादसह) एवं अंग्रेजी, कन्नड़, बंगला में अलग अलग इस प्रकार चार अन्य भाषाओं में प्रकाशन यह सत्धर्म प्रसार की दिशा का महत्त्व का कदम है। आत्मार्थी मुमुक्षु भाई श्री प्रतापभाई टोलिया एवं सुश्री सुमित्राबेन टोलिया ने इस उमदा कार्य को सिद्ध करने में अत्यंत कष्ट उठाकर प्रेमपरिश्रम किया है जिस कारण से वे दोनों अभिवादन एवं अभिनंदन के अधिकारी हैं। "सप्तभाषी आत्मसिद्धि'' के बाद "पंचभाषी पुष्पमाला'' यह उनका महत्त्व का * "रत्नकरण्ड श्रावकाचार", "सागार धर्मामृत'', "अणागारधर्मामृत' आदि भी अन्य महत्त्वपूर्ण आचार-सूचक ग्रन्थ हैं। कि जिनभारती

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