Book Title: Paiakaha Sangaha
Author(s): Manvijay, Kantivijay
Publisher: Vijaydansuri Jain Granthmala
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भुवणे ओयरिय ठंति खणमेगं । सहीसमेया एगा ताव कुमारी तहिं पत्ता ॥ ६९ ॥ अवलोइयंमि कुमरे तीए ससिणिवंकदिट्ठीए । ईसारोसभरेण व मयणेणं ताडिया एसा ॥ ७० ॥ गउरीए कुणइ पूर्य सुन्नमणा विसरिसीए रयणाए । मुणियमणा तं पभणइ कुडिला नामा सही एगा ॥७१।। जह सहि ! मह कहणिजं ता कहसु तुम किमित्थ सुन्नमणा । सा भणइ परित्ताणं न होइ कहियंमि केणावि ॥ ७२ ॥ जंपइ कुडिला पियसहि ! कहिए दुहकारणमि कुणइ जणो । साहिजं सयलो वि हु अहयं पुण तुज्झ एमेव ॥७३॥ गहिऊण तीए हत्था कुसुमाई गुंफिऊण वरमालं । सा गंतूण कुमार भणइ तुम नूण चोरो सि ॥७४॥ मज्झ सहीए हिययं तुज्झ हरंतस्स एस इह दंडो। नियमणसमप्पणेणं नूणं एयाए छुट्टेसि ॥ ७५ ॥ इय भणिय तस्स माला खित्ता कंठंमि विहसियमणस्स । भणियं जोगिंदेणं अहोऽबराहोचिओ दंडो ।। ७६ ॥ कुडिला जंपइ निसुणसु दुग्घडमेयं कुमार! वयणमिणं । नामेण जयतचंदो इह नयरे अत्थि नरनाहो ॥ ७७ ॥ जयतलदेवीनामा पाणपिया तस्स गुणगणनिहाणं । ताणं सुहागदेवी एसा धूया समुष्पन्ना ।। ७८ ।। नवजोवणमावन्ना दिना जणएहिं संपइनिवस्म । अज हविस्मइ वरणं लग्गं वि हु रयणिपहरदुगे ।। ७९ ।। केावि कारणेणं एयाए तम्मि नेव रमइ मणो। सुन्नमणा संजाया अवलोइय कुमर ! तुममिण्डिं ॥८०॥ इह समए जं उचियं विहेसु तं किं भणिजए तुज्झ । अह पभणइ जोगिंदो कुमर! तुम कुणसु मह वयणं ।। ८१ ॥ गहिउं सुहागदेवि चिट्ठिस्समहं गिरिम्मि वेयड्डे। तुमयं पुण एयाए रूवं वेउब्वियं तत्थ ।। ८२॥ गंतुं कुडिलासहिओ संपइनिवई(इं) विवाहिय गिरिम्मि । आगच्छसु वेयड्डे इय सुणिउ पभणए कुडिला ।। ८३ ।। जइ कुमर ! सुप्पसन्नो ता तुमयं कहसु अप्पणो चरियं । तत्तो जोगिंदेणं सवं पि हु तीए परिकहियं ॥ ८४ ।। गउरीपूयणनिरया

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