Book Title: Paiakaha Sangaha
Author(s): Manvijay, Kantivijay
Publisher: Vijaydansuri Jain Granthmala
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पाइअकहा
संग हे । ।। २८ ।।
याणि अविसंकं तस्स पासंमि ।। ९४ ।। लोयाओ मुणिऊणं सो गच्छ तत्थ चइय वेयालं । नमह पवाइयचलणे तं पुच्छह सायं सा वि ।। ९५ ।। कक्खाहि पडो पडिओ पणामसमए निःस्स सहस ति । गहिओ कुसुमसिरीए अवलोयइ निययभवं ।। ९६ ।। कयमुणिवरोवसग्गो कुणेमि एसा अहं तवं इत्थ । लिहियसिलोगा य मुया एसो सो मोरमहिनाहो ॥ ९७ ॥ एयं मुणेमि म सो चिट्ठह जत्थ तं पुणो नेय । तेणं चिय एस पडो लिहिओ अन्नस्स न हु सत्ती ॥ ९८ ॥ एयं चिय पुच्छेमी मुणिस्सए नूण समवि एसा । इत्थद्वियकंकणे णं किं किजड़ दप्पणेणहवा ॥ ९९ ॥ सा हरिसमणा पभणइ नवमहिलं केणिमो पडो लिहिओ १ । सा कहर विलासपुरे पुरिमुत्तमपुहनाहेण ॥ १०० ॥ इय कहियं तुज्झ मए तुमं पि मह कहसु भइ नवमहिला । नियत्ततं सवं कुसुमसिरी साइए तीए । १०१ । पउमावइनामेणे एसा नयरी सुनीइसंपन्ना । इह पउममहीनाहो पउमसिरी पिययमा तस्म ॥ १०२ ॥ कुसुमसिरी संजाया ताण सुया विसयसेवणपराण । सा लोयाउ सिलोयं मयूरपयलंछियं सुणिउं ॥ १०३ ॥ कत्थ वि एस सिलोओ सुणिओ पुविं मए इह सुरम्मो । ऊहापोहं सा कुणइ जाव ता ती संजाय ॥ १०४ ॥ जाईसरणं सहमा सवित्थरं मुणइ अप्पपुवभवं । स च्चिय मयंकरेहा मरिऊणं इत्थ उपवा ॥ १०५ ॥ मोरनिवं पुवपियं कत्थुववन्नं अयाणमाणा सा । कुणइ पइन्नं लग्गह मह देहे सो व जलणो वा ।। १०६ ।। अनं पुरिसं दिट्ठीए पिच्छई नेव कवि कइयावि। अह पउममहीनाहो मुणिउं नवजोद्दणं दुद्दिओ ॥ १०७ ॥ सो नेमित्तियमेगं पुच्छर एयाइ मज्झ तणयाए । मणइट्ठो को होही पाणपिओ ? कहसु मुणिऊण ॥ १०८ ॥ सो भणइ मढे चिट्ठउ इममि एसा लहिस्सई ज्झति । मणवंछियपाणपियं पुरिसुत्तमनामनरनाहं ॥ १०९ ॥ सा य अहं इह मुका पवाइयाओ
तपोविषये
मृगाङ्क
रेखा
कथानकम् ।
॥ २८ ॥

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