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३. वस्तु व ज्ञान सम्बन्ध
३ विश्लेषण - द्वारा परोक्ष ज्ञान
विटेमिन पड़े हैं जो स्वास्थ्य को लाभदायक है, इतने अंश - इसमे तेजाब या. ( Acid ) है जो पाचक है, इतने अंश `इसमे अन्य अन्य -तत्व भी है, जो संभवत: स्वास्थ्य को हानिकारकं पड़े । ताजी
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अवस्था मे इसके गुण- उपरोक्त प्रकार दृष्ट होते है । पर यदि यही सड़ जाये तो वही गुण कुछ बदल जाते है । उनमे मादक शक्ति प्रगट हो जाती है । कच्ची हालत में वही गुण किसी और रूप से उपयुक्त होते हैं।
इसी प्रकार अग्नि का भी विश्लेषण किया जाता है । वह उष्ण होती है, दाहक होती है और पाचक होती है, वह प्रकाशक होती है, ऊर्ध्वगामी होती है। ईंधन मे रहने पर उसमे वह ऊर्ध्वगामी व प्रकाशपना स्पष्ट दिखाई देता है, पर आरो (गोये) में रहने पर वह दृष्ट नही हो पाता, राख मिद बी हालत मे उसकी उष्णत्व आदि शक्तिये भी दृष्ट नही हो पाती, तथा अनेकों अन्य रीतियों से इसका विश्लेषण करके इसे खंडित किया जा सकता है, यद्यपि ऐसा करने से अग्नि खंडित नही होती
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प्रश्न होता है कि वस्तु का इस प्रकार विश्लेषण करने से भले
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ही डाक्टरों को - या वैज्ञानिकों को अपनी खोज में सहायता मिलती
हो, पर हमारे लिये यहा ऐसा करने से क्या लाभ, यहां तो ज्ञान की बात चलती है । वस्तु देखी या बताई और जान ली, अधिक टटे मे पडने की
क्या आवश्यकता । ठीक है भाई विश्लेषण करने की कोई आवश्यकता नही हुई होती यदि सारी वस्तुये- तुम्हे प्रत्यक्ष हो सकी होती । अदृष्ट
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वस्तु को दृष्टवत् तेरे ज्ञान पट पर चित्रित करने के लिये वस्तु का विश्लेषण करना अत्यन्त उपयोगी है । बिना विश्लेषण किए वस्तु को वाच्य नही बनाया जा सकता । जो वस्तुएं आपने साक्षात् देखी हुई हैं उनके संबंध में तो केवल एक शब्द का संकेत ही पर्याप्त हो जाता है, आपके लक्ष्य को उस ओर खेचने में । परन्तु जिस पदार्थ का
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