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३ वस्तु व ज्ञान सम्बन्ध ४० ३ विश्लेषण द्वारा परोक्ष ज्ञान है। इसी के द्वारा आज का विज्ञान बहुत-सी कृत्रिम वस्तुएं बनाने मे सफल हो सका है। वे वस्तुएं बिल्कुल प्राकृतिक जैसी ही होती है । इन्हे सिन्थैटिक ( Synthetic ) पदार्थ कहते हैं। आज तो ऐसे पदार्थो का बहुत प्रयोग हो रहा है। बनावटी सुगधियें जिन्हे एसैन्स ( Essence ) कहते हैं इसी विश्लेषण की उपज है । यद्यपि प्राकृतिक पदार्थों में से निकाली नही जाती पर प्राकृतिक जैसी ही होती है जैसे कि गुलाब की सुगध ('Assense ) गुलाब मे से निकाली नहीं जाती । ऐसा करने से वह बहुत महगी पड़ेगी। वह तो कुछ बेकार-सी वस्तुओं, घास, फूस आदि मे से निकाली जाती है । उपाय उसी विश्लेषण से निकला है । गुलाब का विश्लेषण करके उसमे पड़े कुछ मूल तत्व ( Elements ) खोज निकाले। यद्यपि इन मूल तत्वो का मिश्रित रूप मे एक स्थान पर मिलना तो गुलाब मे ही सभव है, पर पृथक-पृथक रूप मे यह तत्व किन्ही अन्य पदार्थो मे भी अर्थात् घास व किन्ही झाड़ियों की जड़ों मे भी पाये जाते है । उनको वहा-वहां से विज्ञान ने खोज निकाला । पृयक-पृथक् वह-वह तत्व वहा-वहां से निकालकर-पृथक-पृथक शीशियो मे भर लिये गये । अब इनको यथायोग्य हीनाधिक मात्रा मे परस्पर मिलाने से गुलाब की, खस खस की, केले की इत्यादि अनेको सुगन्धियों की उपलब्धि होनी संभव है, जो बिल्कुल प्राकृतिकवत ही होती है । अन्तर केवल इतना है, कि प्राकृतिक उन पदार्थों मे तो वे तत्व प्रकृति ने सम्मिश्रण किये हैं, पर यहां वही प्रक्यिा मानव द्वारा की गई है, और इसीलिये उसे बनावटी (Synthetic) कहते है । पृथक-पृथक उन तत्वों मे कोई भी गंध प्रतीति मे नही आती पर मिश्रित हो जाने पर स्वतः गुलाब आदि की गंध प्रगट हो जाती है । इसे ही वस्तु का विश्लेषण करना कहते है.। ज्ञान मे अद्वितीय शक्ति है । यह किसी वस्तु को बिना छिन्न-भिन्न किये भी उसके टुकड़े कर सकता है, अर्थात् उसका विश्लेषण, कर सकता है। जैसे कि डाक्टर लोग बताया करते है, कि संतरे मे इतने अंश तो पौष्टिक