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क्रियाओमा राखवू जोइतुं सावधानपणुं ॥ (११) क्षय देडकानी भस्म तुल्य कह्यो छे, देडकाना चूर्णने पाणीनो संयोग मळता जेटला चूर्णना कणीया छे तेटला नवा देडका उत्पन्न थाय छे, तेम अज्ञानताने योगे निमित्त मळता पाछो क्लिष्ट कर्मबन्ध थाय छे. अने देडकानी राख थइ होय तो ते राखमांथी गमे ते संयोगे पण पुनः देडकानी उत्पत्ति थती नथी, तेम पुनः कर्मबन्ध पडतो नथी.
क्रिया कूवो खोदवा तुल्य अने भाव शिरा (सेर) पाणी तुल्य छ, कूवो खोद्या शिवाय शिरा (सेर) प्रकटती नथी अने सेर शिवाय अखुट पाणी रहेतुं नथी माटे बेउनी खास आवश्यकता छे.
अज्ञानी जीव वर्ष कोटिओमां जेटबुं कर्म खपावे तेटवू कर्म ज्ञानी श्वासोच्छ्वासमां खपावे छे, तेमां पण भावपूर्वक क्रियानी मुख्यता बतावी छे, ___ आ दिवसोमांजेम बने तेम आश्रव-कषायनो त्याग विशेष करवो, आरंभोनो त्याग करवो कराववो, बनी शके तेटली अमारि प्रवद्ववी. देवपूजनना कार्य