Book Title: Nandisutrasya Churni
Author(s): Rushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha,
Publisher: Rushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha
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श्रीमलधारा यतिदिष्टाः |
विशेषावश्यक गाथा:
॥१७॥
| मुणिसुव्वये नमिमि य, होंति दुवे पउमनामहरिसेणा । नमिनेमिसु जयनामा, नेमीपासंतरे बंभो ।। १७६६ ॥ ४१८ ॥ |पंचसयअद्धपंचम वायाला चेव अद्धधणुगं च । चत्तादिवड्डधणुगं च चउत्थे पंचमे चत्ता ॥ १७६७ ॥ ३९२ ॥ | पणतीसा तीसा पुण, अट्ठावीसा य वीसइधणूणि । (पन्नरस बार) सेव य, अपच्छिमे स (त्त य धणूणिः ॥ १७६८ ॥ ३९३ ॥ | चउरासीति बावत्तरी य पुव्वाण माहिया एए (सयसहस्साई)। पंच य तिन्नि य एगं च एवमेते (सयसहस्सा उ वासाणं)१७६९।३९५ | (पंचाणउइ सहस्सा चउरासी य अट्ठमे सट्ठा)। टीसा य दस य तिन्नि य अपच्छिमे सत्त वाससया ॥ १७७० ।। ३९६ ॥
अद्वैव गया मोक्खं मुहुमो बंभो य सत्तमि पुढविं । भगवं सणंकुमारो सणंकुमारं गया कप्पं ॥ १७७१ ॥४०१॥ | पंचरिहंते वदंति केसवा पंच आणुपुव्वीए । सेज्जसतिविट्ठाती धम्म पुरिससीहपेरंता ॥ १७७२ ॥ ४१९ ॥ ४ अरमल्लिअंतरे दोन्नि केसवा पुरिसपोंडरियदत्तो । मुणिसुव्वयनेमिणो अंतरंमि (०मि अंतरि) नारायण कण्ह नेमिमि ॥१७७३।४२०॥
पढमो धणूणसीती, सत्तरि सट्ठी य पण्ण पणयाला । अउणत्तीसं च धणू छन्वीसा सोलस दसेव ॥ १७७४ ॥ ४०३ ।। चउरासीती विसत्तरि सट्ठा तीसा य दस य लक्खाई । पण्णद्विसहस्साई, छप्पण्णा बारसेगं च ॥ १७७५ ॥ ४०५ ।। एगो य सत्तमाए, पंच य छट्ठीए पंचमी एगो । एगो य चउत्थीए, कण्हो पुण तच्चपुढवीए ॥ १७७६ ॥ ४१३ ॥ अनियाणकडा रामा, सव्वेविय केसवा नियाणकडा । उड्ढुंगामी रामा, केसव सव्वे अहोगामी ॥ ७७७ ॥ ४१५ अटुंतकडा रामा, एगो पुण बंभलोगकप्पंमि । तत्तोवि चइत्ताणं, सिज्झिस्सइ भारहे वासे ॥ १७७८ ॥ ४१४ चक्किदुगं हरिपणगं, पणगं चक्कीण केसवो चक्की । केसव चक्की केसव, दुचकि केसी य चक्की य ॥ १७७९ ॥ ४२१
SAGAR
Y॥१७॥
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