Book Title: Nandisutrasya Churni
Author(s): Rushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha,
Publisher: Rushabhdevji Keshrimalji Shwetambar Samstha
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श्रीमलधायतिदिष्टाः ॥ १६ ॥
अह भणइ जिणवरिंदो, जारिसओ नाणदंसणेहिं अहं । एरिसया तेवीसा, अण्णे होहिंति तित्थयरा ।। १७५२ ।। ३६९ ।। | होहिति अजिओ संभव, अभिनंदणसुमइसुप्पभसुपासो । ससिपुप्फदंतसीयल सेज्जंसो वासुपूज्जो य ।। १७५३ ॥ ३७० ॥ विमलमणतइधम्मो, संती कुंथू अरो य मल्ली य । मुणिसुव्वयनमिनेमी, पासो तह वद्धमाणो य ।। १७५४ ।। ३७१ ॥ अह भणति नरवरिंदो, भरहे वासंमि जारिसो उ अहं । तारिसया कइ अण्णे, ताया ! होहिंति रायाणो ।। १७५५ ।। ३७२ ॥ अह भणइ जिणवरिंदो, जारिसओ तं नरिंदसलो । तारिसया एक्कारस, अण्णे होहिंति रायाणो ॥ १७५६ ।। ३७३ ।। | भरहो सगरो मघवं सणकुमारो य रायसद्द्लो । संती कुंधू य अरो, हवइ सुभूमो य कोरव्वो ।। १७५७ ।। ३७४ ॥ नवमा य महापउमो, हरिसेणे चैव रायसले । जयनामो य नरवती, बारसमे बंभदत्ते य ।। १७५८ ।। ३७५ ॥ बलदेव वासुदेवा, नव अण्णे नीलपीयकोसेज्जा । हलमुसलचक्कजोही, सतालगरुडज्झया दो दो ।। १७५९ ।। ३९ तिवद्दू यदुविट्ठू य सयंभुपुरिसोत्तमो पुरिससीहो । तह पुरिसपोंडरीए, दत्ते नारायणे कण्डे ।। १७६० ।। ४० भा. | अयले विजए भद्दे, सुप्पमे य सुदंसणे । आणंदे नंदणे पउमे, रामे यावि अपच्छिमे ।। १७६१ ।। ४१
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| आसग्गीवे तारए मेरए महुकेढवे निसुभे य । बलि पहराए तह रामणे य नवमे जरासंधे ।। १७६२ ।। ४२ एए खलु पडिसत्तू, कित्ती पुरिसाण वासुदेवाणं । सव्वेवि चक्कजोही, सव्वेवि हया सचकेहिं ।। १७६३ ।। ४३ भा. उसमे भरहो अजितै, सगरो मघवं सणकुमारो य । धम्मस्स य संतिस्स य, जिणंतरे चक्कवट्टिदुगं ।। १७६४ ।। ४१६ ॥ संती कुंथू य अरो, अरहंता चेव चकवड्डी य । अरमल्लिअंतरंमि य, हवइ सुभूमो य कोरव्वो ।। १७६५ ।। ४१७ ॥
विशेषा
वश्यक
गाथाः
॥ १६ ॥
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