Book Title: Namaskar Swadhyay Prakrit Vibhag
Author(s): Dhurandharvijay, Jambuvijay, Tattvanandvijay
Publisher: Jain Sahitya Vardhak Sabha
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________________ 270 ' नवकारसारथवणं। [प्राकृत परिचय 'नमस्कारसारस्तवन' नामक स्तोत्रनी लगभग वीशेक हस्तलिखित प्रतिओ जोवा मळी छे, तेमांथी 9 प्रतिओने सामे राखीने आ स्तोत्रनुं संपादन कयुं छे। ए प्रतिओनो परिचय आ रीते छे: 1. A संज्ञक प्रति ते जैन साहित्य विकास मंडळना संग्रहनी फोटोस्टेटिक कोपी (ते श्री मुक्तिकमल जैन मोहनज्ञानमंदिर, वडोदराना संग्रहनी प्रति) 2. S संज्ञक प्रति ते जै. सा. वि. मं. ना संग्रहनी बीजी फोटोस्टेटिक कोपी। 3. D संज्ञक प्रति ते देवचंद लालभाई पुस्तकोद्धार फंड, सूरतथी नं. 79 मां प्रसिद्ध थयेल _ 'भक्तामर-कल्याणमंदिर-नमिऊणस्तोत्रत्रयम्' मां प्रगट थयेलं आ स्तवन / 4. J संज्ञक प्रति ते श्रीजिनविजयमुनिजीए छपावेलां फोर्स। 5. Ja संज्ञक प्रति ते श्रीजिनविजयजीए बीजी पोथी उपरथी लीधेलां पाठांतरो।। 6. Jb संज्ञक प्रति ते श्रीजिनविजयजीए त्रीजी पोथी उपरथी लीधेलां पाठांतरो। 7. Jc संज्ञक प्रति ते श्रीजिनविजयजीए चोथी पोथी उपरथी लीधेलां पाठांतरो। 8. N संज्ञक प्रति ते श्री अगरचंदजी नाहटा, बिकानेरना संग्रहनी प्रति / 9. P संज्ञक प्रति ते श्रीवर्धमान जैन आगममंदिर, पालीताणाना संग्रहनी नं. 199 नी प्रति। आ स्तोत्र अद्यावधि उपर्युक्त नं. 3 D संज्ञाथी सूचित पुस्तकमां प्रगट थयुं छे। अत्यंत प्रसिद्ध .. एवा 'भक्तामर स्तोत्र' ना कर्ता अनेकविद्यानिपुण जे श्री मानतुंगसूरि ते ज आ स्तोत्रना कर्ता छ। आ मानतुंगसूरिनु चरित्र 'प्रभावकचरित 'मां आपेलुं छे। ___आ स्तोत्र उपर 'नमस्कारव्याख्यानटीका' नामे व्याख्या मळी आवी छे / तेनो परिचय आ पछी सळंगरूपे आपवामां आवती ए कृतिनी अंते आप्यो छे एटले ए संबंधे अहीं पुनरुक्ति करवी उचित 20 नथी; पण आ स्तोत्रनी महत्तानो ख्याल करावनार ए टीकाग्रंथ छे, छतां एनुं रहस्य समजवू मुश्केल छे, एटलं ज कहेवू पर्याप्त गणाशे / आ मूळ स्तोत्र उपर (1) नानी व्याख्या, शेठ झवेरचंद पन्नाजी, बुहारीना संग्रहमांथी मळी छे ते, (2) श्रीअगरचंदजी नाहटा, बिकानेरना संग्रहमांथी मळेली प्रतिमां अवचूरि (छाया) हती ते, अने (3) श्रीजिनविजयजी मुनिजीए छपावेल स्तोत्रमांना विशिष्ट शब्दो उपरनां टिप्पणोरूप अवचूरिका 25 हती ते; आ स्तोत्रनी साथोसाथ आपीने मात्र मूळ अहीं प्रसिद्ध करेल छे / आ स्तोत्रनो गुजराती अनुवाद तैयार करवामां आव्यो हतो, परंतु तेना अर्थघटन विशे मतभेद होवाथी तेमज अमुक श्लोकोनु यथार्थ गुजराती भाषांतर कठिन होवाथी सुज्ञ गुरुदेवोनी सूचनानुसार आखा स्तोत्रनो अनुवाद रद करेल छ / आ विषयने उपयोगी “पञ्चपदाम्नायः” तथा “पञ्चपरमेष्टिसाधन-विधि-फलकोष्टक" साथे ज पृष्ट 268 तथा 269 पर आपेल छे /