Book Title: Namaskar Swadhyay Prakrit Vibhag
Author(s): Dhurandharvijay, Jambuvijay, Tattvanandvijay
Publisher: Jain Sahitya Vardhak Sabha

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Page 579
________________ 532 शुद्धिपत्रक [प्राकृत पृष्ठ सज्झ 135 136 139 तापसनी अ लेहे' धणुत्तिभागो अ कोसछब्भाओ जह 146 तम्मि 147 V 149 . . 150 151 पंक्ति अशुद्ध 4 सिज्झ 8 ने 18 तपासनी 9 अलेहे' 1 धणु त्ति भागो अ कोस छन्भाओ 4 जइ 6 तम्मी 12 त्रणसो ने तेत्रीश धनुष्यनो 1 धणु त्ति भागो 5 साहीआ 29 श्रुतमां 17 तेवा 1 जाणंती 10 द्रव्योना 11 दर्शने वडे चारे बाजुएथी 15 बधाये समयने एकत्रित करवामां 4 अणुहुंती 15 आचरणा करे 23 एकभाविक 25 भावाचार्य 25 ते लौकिक 4 पुमो 25 'उप' 2 उवझाया 8 कीरमणो 15 ते सूत्ररूप द्वादशांग 8 हुंती 13 करेलो 2 सदायकिच्चुज्जयाण 25 करेलो 9 संसारवर्ती आचार्य, 19 बनो 2 सकुल ... 8 ए शुभ 10 तेनी 10 सिद्ध 22 'तालप्रलंब 23 तालवृक्षने......पण 24 (तोड्या विना अथवा कापेलां) / 25 'तालप्रलंब' त्रणसो ने तेत्रीश धनुष्य अने एक धनुष्यनो धणुत्तिभागो साहिआ सामान्य श्रुतमां तेना जाणंति पदार्थोना दर्शन वडे सर्वत्र संपूर्णपणे सर्वकालना समयथी गुणवामां अणुहुंति आचरणा करे अने करावे एकभविक द्रव्याचार्य भावाचार्यना लौकिक . पुणो 'उप + अधि' उवज्झाया कीरमाणो ते द्वादशांगने सूत्ररूपे हुंति उपाध्यायने करेलो सदा य किच्चुज्जयाण साधुओने करेलो संसारवर्ती अरिहंत, आचार्य अने बने सुकुल ए नमस्कार करनार जीवो शुभ तेनी अभिरतिनी सिद्धि 'तालपलंब' तालवृक्षादि (तोड्या विनानां अथवा न कापेलां) 'तालपलंब'

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