Book Title: Namaskar Swadhyay Prakrit Vibhag
Author(s): Dhurandharvijay, Jambuvijay, Tattvanandvijay
Publisher: Jain Sahitya Vardhak Sabha

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Page 587
________________ . 3 6 सुअं 540 शुद्धिपत्रक [प्राकृत - पृष्ठ पंक्ति अशुद्ध शुद्ध 383 17 देवताओ,......गण्यो छे। आ नवकार सुर, सिद्ध, खेचर वगेरे वडे भणायो छ / 384 18-19 सागरनु.........थाय // 29 // सागरोपम प्रमाण पाप नाश करे छे, एक पद वडे पचास सागरोपम अने समग्र नवकार वडे पांचसो सागरोपम प्रमाण पाप नाश थाय छे // 29 // ,, 20 आ लोकमां......परलोकमां नवकारना इहलौकिक फल विशे त्रिदंडी तथा श्रीमती नामनी श्रावकपुत्रीने देवता- सान्निध्य, मातुलिंग -बीजोरानुं वन अने पारलौकिक फल विशे 29 दसपाणं दसपाणा 29 सुकखं अणस्स मुक्रवं अवस्स 3 भावाकों भावकों 4 हत्यानां हत्याकानां 4 पापसमूहान पापसमूहान् / 4 'मरगयभा 'मरगयामा .4 उवज्झायाणं उवज्झाया पदम् वचनात् 14 अज्ज्ञावउ अज्झावउ 27 मरगयभा मरगयामा सुक्खं 8 वच]ना भावो वा वचनाभावो वा। 9 सो ण साण 395 11 तेमनां , 11-12 कर्मों दूर...छे। कर्मोना विगमथी 396 6 नमः सिद्धत° नमःसिद्धंत° , 12 महविज्जा विज्जदे महविज्जाविज्जदे , 15-17 ध्यान-......स्तवीश // 1 // श्रीसद्गुरुए कहेला पिण्डस्थ, पदस्थ, रूपस्थ अने रूपातीत एवा परमेष्ठिमय तत्त्वने हुं स्तवीश (कहीश)॥१॥ 20 आपनारुं थाय छे आपो . 23-24 ते प्रकारे...नीवडे छे तेनुं ध्यान दुःखनु हरण करो "श्रीगौतमस्वामीनी आकृति". 30 "श्रीगौतमस्वामिने नमः" " 20 भागातमत्वामिगनमा , 30 प्रकारने श्री गौतमस्वामीने 397 24-25 तेनुं प्रणवथी...करे छे तेमां ध्यान वडे आपूरित (स्थिर करायेल) प्रणव भन्योनु कल्याण करो 398 6-9 ध्यानना......करे छे // 12 // जे आ चतुर्विध ध्यानमा रहेल परमेष्ठिमय सर्वश्रेष्ठ तत्त्वनुं निरंतर ध्यान करे छे ते परमानंदने पामे छे // 12 // 399 21 विषयतुं निरूपण मंगल अने विषयनिरूपण , 23 केवी......दर्शावीश। वडे श्रुतस्कंधरूप, नवपद-आठ संपदा-अडसठ अक्षरमय अने विशिष्ट महामन्त्ररूप जे अरिहंतादि परमेष्ठिंओने नमस्कार तेनी हुं भक्तिपूर्वक स्तुति करुं छु। " तेमने


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