Book Title: Namaskar Swadhyay Prakrit Vibhag
Author(s): Dhurandharvijay, Jambuvijay, Tattvanandvijay
Publisher: Jain Sahitya Vardhak Sabha
View full book text ________________ अजीवनो + विभाग] नमस्कार स्वाध्याय - पृष्ठ पंक्ति अशुद्ध 117 26 पर्यायास्तिकाय पर्यायास्तिक , 28 1. द्रव्यनय......अभिप्राय छ। 1. द्रव्यनय प्रधानपणे द्रव्यने ज ग्रहण करे छे, ज्यारे गुणोने ते उपचारथी माने छ / 118 1-3 (जीवस्वरूप......।) संग्रहनयना मते जीवस्वरूप... / 18 सत्य प्रधान 21 2. सर्व...... छे। 2. स्कंध पंचास्तिकायात्मक होय छे / 8 घडाना हेतु घटनिमित्तक 17 करवा करवो 20 करवा. करवो 22 अजीवोनो 23 अजीवोनो अजीवनो 26-27 तेनो स्वामीमात्र वस्तुनो... ...एटले ए...पण .27 शुद्धतर अशुद्धतर (अहीं हारिभद्रीय आवश्यकमां 'शुद्धतर' एवो पाठ छे, पण ते अशुद्ध छे. विशेषावश्यक भाष्य गाथा 2880 मां 'अशुद्धतर' एवो पाठ छे : आ पाठ बरोबर छे.) / 29 मते ते नमस्कार मते नमस्कार 1 खओवसमो खओवसमे 4 पण शब्द...नथी। 7 कारण 11 कर्मोने कर्मोनो 14 सर्वघाती स्पर्धको सर्व सर्व सर्वघाती स्पर्धको 15 देशघाती स्पर्धकोना अनंतमा विशुद्धिनी अपेक्षाए देशघाती स्पर्धकोना क्षय पामता अनंतमा 21 ज्ञानावरण...कर्मोमांथी X 24 आवश्यक छ। आवश्यक छ, 24 मिथ्यात्वकर्मना मिथ्यात्वमोहनीयकर्मना - 25 आत्मस्वरूप श्री नमस्कार महामंत्र . 26 मिथ्यात्वनो......अथवा सम्यक्त्वमोहनीय, मिश्रमोहनीय अने मिथ्यात्व मोहनीयकर्मनो (अर्थात् दर्शनसप्तकनो) 129 12 सिद्धिलशिामां सिद्धशिलामा , - 16 एवा स्थानने प्राप्त थया 130 11 नमीने नमेलो हुँ 27 प्रकाणे प्रकारे 1-2 रागद्दोसकसाए...वुच्चंति // रागद्दोसकसाए, इंदिआणि य पंचवि / परीसहे उवस्सग्गे, नामयंता नमोऽरिहा / / , 12 मुश्केलाओने मुश्केलीओने 133 8 उवग्गे उवसग्गे
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