Book Title: Namaskar Swadhyay Prakrit Vibhag
Author(s): Dhurandharvijay, Jambuvijay, Tattvanandvijay
Publisher: Jain Sahitya Vardhak Sabha

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Page 576
________________ शुद्धि पत्रक पृष्ठ पंक्ति शुद्ध 12 भुजाओ उपर 15 पछी-अंगूठामां 16 तर्जनीमां 17. मध्यमामां 18 अनामिकामां 19 कनिष्ठामा 22 पछी- डाबा पडखार्मा 24 जमणा पडखामां 25 जमणा पडखामां 27 डाबा पगमां 27 'कु' नो न्यास करवो। 28 "कुरुकुल्ले स्वाहा" 3 एढेहि 30 उपाडीने 107 1 संनिधिन्यास 5 गृह ग्रह 6 सजीवितापादनं 8 सुरभि-कुताञ्जली . 23 परमेष्ठीमुद्रा 24 अंजलीमुद्रा. ,, - 26 (एटले मेरुपूर्वक जाप करवो,) , 26 नहीं, दांत 108 2 पसिज्झउ 17 वाचनाचार्य 18 वर्धमानविद्याना 109 1 महइ महावद्धमाणसामिस्स 3 [जप्त्वा ] 6 वार जाप्त्वा , . . 7 जाती-फल 9 महइ महावद्धमाणसामिस्स 11 उत्तरफाल्गुन्यामुपवासो 15 महइ महावद्धमाणसामिस्स 22 जाईन फूल 25 महइ महावद्धमाणसामिस्स भुजाओना मध्यभागमां पछी-बन्ने अंगूठामां (बे अंगूठा जोडीने) बन्ने तर्जनीमां बन्ने मध्यमामां बन्ने अनामिकामां बन्ने कनिष्ठामां पछी-ॐ उच्चारणपूर्वक डाबा हाथ वडे डाबे खमे जमणे खमे जमणे खमे डाबे खभे 'कु' नो न्यास करवो। अंते 'ॐ' कहेर्नु / “ॐ कुरुकुले स्वाहा” एहि एहि भावपूर्वक अवतारीने (उतारीने) संनिधिन्यासः गृहाण गृहाण सजीवतापादनं सुरभि -अञ्जलि परमेष्ठिमुद्रा अंजलिमुद्रा नहीं अने दांत पसिज्ज वाचनाचार्ये वर्धमानविद्यानो महइमहावीरवमद्धाणसामिस्स [जपित्वा] वारं जपित्वा जातीफल महइमहावीरवद्धमाणसामिस्स उत्तराफाल्गुन्यामुपवासो महइमहावीरवद्धमाणसामिस्स महइमहावीरवद्धमाणसामिस्स x आ शब्दो रद समजवा.

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