Book Title: Namaskar Swadhyay Prakrit Vibhag
Author(s): Dhurandharvijay, Jambuvijay, Tattvanandvijay
Publisher: Jain Sahitya Vardhak Sabha
View full book text ________________ नमस्कारव्याख्यानटीका। आलिङ्गिते भवेन्मूर्धा, पुरुषाः स्वाभिधूमिते / / उत्तरे अङ्गुलाः प्रोक्ताः, मध्यमं मध्यमाक्षरैः॥ [33] एते पञ्चपरमेष्ठिनः पूर्वानुपूर्वी-अनानुपूर्वी-पश्चानुपूर्वीगुण्यमाना विधियुता ऐहिक-परत्र फलं विशेषतो ददति / तदुच्यते पुव्वाणुपुविहिट्ठा समयाभेएण कुण जहाजिडें / उवरिमतुल्लं पुरओ निसिज पुव्वक्कमो सेसो // 15 // [25] जम्मि य नक्खत्ते पुणरवि सो चेव अंकविण्णासो। सो होइ समयमेओ वजेयव्यो पयत्तेण // 16 // [26] इति पञ्चविंशत्यधिकं शतं भेदानां भवन्ति / एकैकपदे चतुर्विंशतिका स्यात् , एवं 5, सं० 10120 / लक्षजापे कृते सति, अतीतानागत-वर्तमानान् जानाति / यानि कर्माणि करोति तानि भवन्ति / साधनरहितः( तेन ? ) सामान्येन त्रिकालं चतुर्विंशतिजिनास्तु पूर्वानुपूर्वी-अनानुपूर्वी-पश्चानुपूर्वी(व्या ?) . ध्यातव्याः / जपमानस्य सर्व चूडामणिना निमित्तेन वा सिद्धिर्याति / तथा ___ अनानुपूर्वीक्रमकोष्ठकम्।। 12345 13254 / 12453 13452 23451 21345 21354 / 21453 31452 31451 13245 13254 14253 14252 24351 31245 31254 41353 41252 42351 23145 23154 24153 34152 34251 32145 32154 42153 4315243251 12435 12534 | 12543 23541 21435 21534 21543 31542 -32541 14235 15234 15243 15342 25341 41235 51234 51243 51342 52341 24135 25134 25143 35142 35241 42135 / 52134 52143 53142 53241 13425 13524 / 14523 / 14532 24531 31425 31524 41523 | 41532 42531 14325 15324 15423 15432 25431 41325 51324 51423 51432 52431 34125 35124 45123 45132 4521 43125 53124 54123 54132 / 54231 23415 23514 24513 34512 34521 32415 32514 42513 43512 43521 24315 25314 25413 35412 35421 .42315 52314 52413 53412 53421 34215 35214 / 45213 45312 / 45321 43215 53214 / 54213 / 54312 54321 मणसा वा चरित्ते वा कार्य घायं च तप्परिणामो। भंगीसु अ गुणंतो वट्टइ तिविहम्मि झाणम्मि // 1 // -
Loading... Page Navigation 1 ... 323 324 325 326 327 328 329 330 331 332 333 334 335 336 337 338 339 340 341 342 343 344 345 346 347 348 349 350 351 352 353 354 355 356 357 358 359 360 361 362 363 364 365 366 367 368 369 370 371 372 373 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440 441 442 443 444 445 446 447 448 449 450 451 452 453 454 455 456 457 458 459 460 461 462 463 464 465 466 467 468 469 470 471 472 473 474 475 476 477 478 479 480 481 482 483 484 485 486 487 488 489 490 491 492 493 494 495 496 497 498 499 500 501 502 503 504 505 506 507 508 509 510 511 512 513 514 515 516 517 518 519 520 521 522 523 524 525 526 527 528 529 530 531 532 533 534 535 536 537 538 539 540 541 542 543 544 545 546 547 548 549 550 551 552 553 554 555 556 557 558 559 560 561 562 563 564 565 566 567 568 569 570 571 572 573 574 575 576 577 578 579 580 581 582 583 584 585 586 587 588 589 590 591 592