Book Title: Namaskar Swadhyay Prakrit Vibhag
Author(s): Dhurandharvijay, Jambuvijay, Tattvanandvijay
Publisher: Jain Sahitya Vardhak Sabha
View full book text ________________ विभाग] नमस्कार स्वाध्याय। 421 रुद्दिष्टभङ्गस्य संख्या स्यात् / उदाहरणं यथा-३, 2, 4, 1, 5 / अयं कतिथो भङ्ग इति पृष्टं केनचित् / अत्र पञ्चमपतौ दृष्टः पञ्चकः सर्वलघु पञ्चकमादौ दत्त्वोपरितनकोष्ठकाद् गणने शून्ये कोष्ठे स्थितः पश्चकस्ततोऽत्र न किञ्चिल्लभ्यते / चतुर्थपतौ दृष्ट एककः पूर्वपञ्चमपतौ स्थितत्वेन पञ्चकं लघु क्रमोपगतमपि त्यक्त्वा चतुष्कं लघुमादौ दत्त्वा गणने एकाकाक्रान्तकोष्ठकसत्का लब्धाः 18, तृतीयपतौ दृष्टश्चतुष्कः प्राग्वत् पञ्चमपतौ स्थितत्वेन पञ्चकं त्यक्त्वा लघु क्रमागतमपि चतुष्काक्रान्तकोष्ठकसत्कलब्धं शून्यं, 5 द्वितीयपतौ दृष्टो द्विकः, ततः प्रोक्तरीत्या पञ्चक-चतुष्को लघू अपि त्यक्त्वा लघु त्रिकमादौ दत्त्वा गणने द्विकाक्रान्तकोष्ठे लब्ध एककः / आद्यपतौ दृष्टस्त्रिकस्ततः प्राग्वत् पञ्चक-चतुष्कौ मुक्त्वा त्रिकमादौ दत्त्वा गणने त्रिकाक्रान्तकोष्ठे लब्ध एककः / सर्वलब्धाङ्कमीलने जाता 20, ततोऽयं विंशतितमो भङ्गः / ज्येष्ठं ज्येष्ठमङ्कमादौ कृत्वाऽधस्तनकोष्ठकाद् गणनेऽपीयमेव संख्या / यथा-पञ्चमपतौ दृष्टः पञ्चकस्ततः सर्वज्येष्ठमेककमादौ दत्त्वाऽधस्तनकोष्ठकाद् गणने पञ्चकाक्रान्तकोष्ठे लब्धं शून्यम् 0 / 10 चतुर्थपतौ दृष्ट एककः, तं ज्येष्ठत्वादादौ दत्त्वाऽधस्तनकोष्ठकाद् गणने लब्धा एककाक्रान्तकोष्ठेऽष्टादश / तृतीयपतौ दृष्टश्चष्तुकः सर्वज्येष्ठमप्येककं पूर्वस्थितत्वेन मुक्वा ज्येष्ठं द्विकमादौ दत्त्वाधस्तनकोष्ठकाद दाखला तरीके-३२४१५ आ कयो भंग छे ? एम पूछतां उत्तरमा अहीं पांचमी पंक्तिमां पांच देखाय छे, तेथी सर्व लघु पांचने आदिमां करीने उपरना कोठाथी गणवाथी शून्य कोठामां पांच रहेला छे, माटे अहीं लब्धांक कोई नथी। चोथी पंक्तिमां एक छे, पहेलां पांचमी पंक्तिमां 15 मूकेलो होवाने कारणे क्रमागत पण लघु पंचकने छोडीने लघु चारने आदिमां करीने गणतरी करबाथी एकथी युक्त कोठामा अढार लब्धांक आव्या / त्रीजी पंक्तिमां चार छे, अहीं पण पहेलांनी माफक पांचने छोडी ते लघु चारने आदिमां करीने गणतरी करवाथी चारथी युक्त कोठामा रहेलो शून्य लब्धांक आव्यो। वीजी पंक्तिमां बे छे तेथी प्रथम करेली विधि प्रमाणे लघु एवा पांच अने धारने छोडीने लघु त्रणने आदिमां करीने गणतरी करतां बेथी युक्त कोठामा लब्धांक एक आव्यो / 20 प्रथम पंक्तिमा त्रण देखाय छे, तेथी पूर्वानुसार पांच अने चारने छोडीने लघु त्रिकने आदिमा करीने गणतरी करतां त्रणथी युक्त कोठामा लब्धांक एक आव्यो / बधा लब्धांकोने मेळववाथी वीस थया, तेथी आ वीसमो भांगो छ। ज्येष्ठ ज्येष्ठ अंकने आदिमां करीने नीचेना कोठाथी गणतां पण आ ज संख्या आवे छे, जेम के पांचमी पंक्तिमां पांच छे, तेथी सर्व ज्येष्ठ एकने आदिमां करीने नीचेना कोठाथी गणतरी 25 करतां पांचथी युक्त कोठामां शून्य लब्धांक आव्यो / चोथी पंक्तिमा एक देखाय छे, ज्येष्ठ होवाने लीधे तेने आदिमां करीने नीचेना कोष्ठकथी गणतरी करतां एकथी युक्त कोठामा अढार लब्धांक थया / त्रीजी पंक्तिमा चार देखाय छे, तेथी पूर्व स्थित होवाने लीधे सर्व ज्येष्ठ पण एकने छोडीने ज्येष्ठ द्विकने आदिमां करीने नीचेना कोठाथी गणतरी करतां चारथी युक्त कोठामा शून्य लब्धांक 1 क्रमागत° / 2 प्राग्वत् पञ्चकं त्यक्त्वा / / 3 'त्यक्त्वा' इति पाठः / प्रतौ नास्ति / मिलने / . 4 'ज्येष्ठं पदं नास्ति A प्रतौ 5 कृत्वा J प्रतौ। 6 'अपि' पदं नास्ति J प्रतौ।।
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