Book Title: Namaskar Swadhyay Prakrit Vibhag
Author(s): Dhurandharvijay, Jambuvijay, Tattvanandvijay
Publisher: Jain Sahitya Vardhak Sabha

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Page 541
________________ 494 उपदेशमाला संदभो [प्राकृत नामाइ-मंगलाणं, पढमं चिय मंगलं नमोक्कारो। अवणेइ वाहि-तकर-जलणाइ-भयाई सव्वाइं // 6 // हरइ दुहं कुणइ सुहं, जणइ जसं सोसए भव-समुदं / इहलोय-पारलोइय-सुहाण मूलं नमोकारो // 7 // 5 नाम आदि मंगळोमा (नाम, स्थापना, द्रव्य तथा भावमंगळमां) नमस्कार ए प्रथम (अर्थात् ऊत्कृष्ट ) मंगळ छे / अने ते व्याधिभय, चोरभय, अग्निभय आदि सर्व भयोने दूर करे छे // 6 // नमस्कार मंत्र दुःखने हरे छे, सुखने करे छे, यशने फेलावे छे, तथा संसारसमुद्रने सुकवी नाखे छे / नमस्कार महामंत्र आ लोक अने परलोकनां तमाम प्रकारनां सुखोनुं मूळ छे // 7 // उपदेशमाला (पुष्पमाला) संदर्भ परिचय 10 प्रद्युम्न नामे सचिवे पोतानो बधो वैभव तजी दई मलधारी श्री अभयदेवसूरि पासे दीक्षा लीधी अने जैनं शास्त्रोनो अभ्यास करीने मलधारी हेमचंद्रसूरि नामथी प्रसिद्धि मेळवी / तेओ सं. 1164 मां विद्यमान हता। सिद्धराज जयसिंह तेमनो भक्त हतो। अने तेमना उपदेशथी राजाए जैन शासननी प्रभावनानां कार्यो कयाँ हतां / पाटणथी शत्रुजय अने गिरनार तीर्थ माटे नीकळेला संघमां आ हेमचंद्रसूरि साथे 15हता। वणथलीमा राखेंगारे पैसा पडाववाना इरादे संघने रोक्यो हतो त्यारे राजा आ आचार्यनी वाणीथी प्रतिबोध पाम्यो हतो अने संघने जवाने माटे अनुज्ञा आपी हती। , ___आ मलधारी हेमचंद्रसूरिए अनेक मोटा ग्रंथोनी रचना करी छे / ते पैकी उपदेशमाला, जेनुं बीजुं नाम 'पुष्पमाला' छे तेमाथी नवकार संबंधी संदर्भ लईने अनुवाद साथे अहीं प्रकट कर्यो छे। AKD

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