Book Title: Mrutyu Chintan
Author(s): P M Choradia
Publisher: Akhil Bhartiya Jain Vidvat Parishad

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Page 6
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रकाशकीय जैन विद्वत् परिषद् ने 'कुआ प्यासे के पास जाए' अर्थात् विद्वानों, अनुभवी चिन्तकों और तपःपूत साधकों के विचार जनसाधारण तक पहुँचें, इस उद्देश्य से 'ज्ञान प्रसार पुस्तकमाला' का प्रकाशन आरम्भ किया है। इसके अन्तर्गत विभिन्न विषयों पर विविध विधाओं की १०८ पुस्तकें प्रकाशित करना तय किया गया। ३. पुस्तकें प्रकाशित होने के बाद सम्यग्ज्ञान प्रचारक मण्डल के साथ आगे के प्रकाशन संयुक्त रूप से प्रकाशित किये जा रहे हैं ताकि इनका अधिक से अधिक प्रचार-प्रसार सम्यग्ज्ञान प्रचारक मण्डल का लक्ष्य भी सामायिकस्वाध्याय के माध्यम से श्रुतज्ञान का प्रचार-प्रसार करना है। १०१ रुपये देकर कोई भी व्यक्ति या संस्था ट्रैक्ट साहित्य सदस्य बन सकते हैं। सदस्यों को इस योजना के सभी उपलब्ध प्रकाशन निःशुल्क प्रदान किये जाते हैं। सदस्यता राशि 'श्री अखिल भारतीय विद्वत् जैन परिषद् के नाम ड्राफ्ट या मनिआर्डर से भेजें। २५०० रुपये की राशि प्रदान कर कोई भी व्यक्ति या संस्था ट्रैक्ट प्रकाशन में सहयोगी बनकर श्रुतसेवा का लाभ उठा सकते हैं। प्रस्तुत प्रकाशन में मद्रास के प्रमुख समाजसेवी श्री रिखब राजजी बागमार ने विद्वत् परिषद् को अर्थ सहयोग प्रदान किया है। आप मूलतः मेड़ता सिटी के निवासी हैं और मद्रास में आपके व्यावसायिक प्रतिष्ठान For Private and Personal Use Only

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