Book Title: Mrutyu Chintan
Author(s): P M Choradia
Publisher: Akhil Bhartiya Jain Vidvat Parishad

View full book text
Previous | Next

Page 10
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir करे । ऐसा करने वाला अपने जीवन की सार्थकता से दूसरों के लिये भी प्रेरणा स्रोत बन सकता है। मृत्यु का अर्थ है निर्वाण अर्थात् अनन्त जीवन प्रज्वलित करना । भगवान बुद्ध ने कहा “अपना निर्वाण करो, तभी संसार से सच्चा प्रेम कर सकीगे।" अपने को भूलना, अपनी व्यक्तिगत आकांक्षाएँ, स्वार्थ और लोभ को भूल जाने से ही अमरता प्राप्त की जा सकती है। मृत्यु का भय . मनुष्य के जीवन को नष्ट करने वाले विचारों का सबसे बड़ा औजार है भय । भय के कारण चरित्र में गिरावर आती है, ऊँची आकांक्षाएँ नष्ट हो जाती हैं और सफलता प्राप्ति में बाधा पड़ जाती है। भय एक ऐसी घटना है, जो अब तक कभी नहीं घटी एवं जो केवल कल्पना की उपज है और उसके घटित होने की कल्पना करके हम उससे त्रस्त रहते हैं। आगम में सात भय बताये हैं :-लोक भय, परलोक भय, आजीविका भय, संरक्षण का भय, यश-अपयश का भय, अकस्मात भय और मृत्यु भय। इनमें मृत्यु-भय सबसे बड़ा भय है । सब प्रकार के भय की परिणति मृत्यु के समय होती है । वाल्मीकि रामायण में कहा गया है 'सदैव मृत्यु जति, सह मृत्युनिषीदति' For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 8 9 10 11 12 13 14 15 16 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49