Book Title: Mrutyu Chintan
Author(s): P M Choradia
Publisher: Akhil Bhartiya Jain Vidvat Parishad

View full book text
Previous | Next

Page 19
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir सन्त दादू कहते हैंदादू मारग कठिन है, जीवत चलै न कोई। सोई चलि है बापुरा, जे जीवत मिरतक होई॥ दादू उपदेश करते हैं कि अन्त में तो हर किसी को मरना ही पड़ता है, परन्तु ज्ञानी पुरुष जीते जी मरने का अभ्यास करते हैं। सन्त कबीर दास ने कहामरता मरता जगु मुआ, मरि न जानिआ कोई। ऐसे मरने जो मरै, बहुरिन मरना होई ।। अर्थात् बार-बार जन्म और मरण के दुःखों से घिरे संसार के लोग जीते जी मरने का अभ्यास सीख लें तो सदा के लिये मुसीबत से छूट जाएँ और उन्हें अमर सुख की प्राप्ति हो। - अठाहरवीं शताब्दी के महान् सन्त पलटूदास ने कहा मरते मरते सब मरे, मरे न जाना कोय । पलटू जो जियत मरे, सहज परायन होय ॥ महापुरुषों के मृत्यु के समय के उद्गार अठारहवीं सदी के एक चिकित्सक ने मृत्यु के पूर्व के क्षणों में कहा था- "यदि मेरे हाथ में कलम पकड़ने की शक्ति होती तो मैं लिखकर बताता कि मृत्यु कितनी For Private and Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 17 18 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49