Book Title: Mrutyu Chintan
Author(s): P M Choradia
Publisher: Akhil Bhartiya Jain Vidvat Parishad

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Page 24
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir प्रधानमन्त्री श्रीमती इन्दिरा गांधी स्वयं दिल्ली से वर्धा उनके पास गई और उन्हें औषधि लेने की प्रार्थना की, लेकिन विनोबा भावे अपने देह से आसक्ति छोड़ चुके थे। उन्होंने इसे स्वीकार नहीं किया। इस प्रकार वे पण्डित मरण को प्राप्त हुए। ६. श्रीकृष्ण के छोटे भाई श्री गजसुकुमाल मुनि थे। बाल अवस्था में ही वे तीर्थंकर नेमिनाथ के समक्ष दीक्षित हो गए। दीक्षा के प्रथम दिवस ही वे प्रभु की आज्ञा प्राप्त कर रात्रि को श्मशान भूमि में जाकर अपने कर्मों की निर्जरा हेतु ध्यान में खड़े हो गए। उधर सोमिल ब्राह्मण ने, जिसकी कन्या के साथ श्रीकृष्ण ने गजसुकुमाल का सम्बन्ध तय कर दिया था, गजसुकुमाल को मुनि वेष में ध्यानस्थ खड़े देखा तो उसका पूर्व भव का बैर जाग उठा। उसने गीली मिट्टी इकट्ठी की और मुनि गजसुकुमाल के सिर के चारों ओर लगाई। फिर वह श्मशान भूमि में से जहां जगह-जगह आग लग रही थी, वहां से दहकते अंगारे लाया तथा उन्हें गजसुकुमाल मुनि के मस्तिष्क पर बनी हुई मिट्टी के पाल के अन्दर डाल दिए। गजसुकुमाल मुनि ने परिस्थिति को भांप लिया। घोर परिषह में घिर कर भी वे जरा भी विचलित नहीं हुए, बल्कि और अधिक सजग हो गए। मृत्यु उनके For Private and Personal Use Only

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