Book Title: Mrutyu Chintan
Author(s): P M Choradia
Publisher: Akhil Bhartiya Jain Vidvat Parishad

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Page 17
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra १० www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir मृत्यु की सदैव स्मृति से हम जीवन से सदा अलिप्त रहेंगे, दूसरों के कल्याण एवं भलाई में जीवन व्यतीत करेंगे, जीवन में सदा जागरूकता रहेगी शेक्सपियर का एक वाक्य है - 'अगर मेरा मित्र आज शाम को मरेगा, यह मुझे मालूम होता तो सुबह उसे कटु बोला, वह नहीं बोलता | मालूम हो कि यह शाम को मरने वाला है, तो सुबह उसके साथ झगड़ा नहीं करता ।' प्रायः संसार में देखा यही जाता है कि अधिकांश लोग अपने आपको अमर मानते हैं । यक्ष ने युधिष्ठिर को पूछा था कि संसार में सबसे बड़ा आश्चर्य क्या है ? इसका उत्तर युधिष्ठिर ने दिया - " दूसरों को मरते देखकर और स्वयं क्षण-क्षण मृत्यु की ओर बढ़ रहा है, फिर भी मनुष्य मृत्यु को भूलकर अपने को अमर मानता है । इससे बढ़कर आश्चर्य दूसरा नहीं ।' जीवन लेकिन जो जागरूक हैं, जीने की कला जानते हैं, उनका चित्त मृत्यु की स्मृति से हमेशा प्रसन्न रहेगा । आत्मा के अमरत्व के विचार हमेशा रहेंगे, जिससे जीवन प्रेममय व्यतीत होगा । मृत्यु का सदैव स्मरण करने से उसका पूरा अभ्यास हो जायेगा । जिस प्रकार एक विद्यार्थी परीक्षा में बैठने के पूर्व अच्छी तैयारी करता है, जिससे वह अच्छे अंकों से उत्तीर्ण हो सके, उसी प्रकार मृत्यु का सदैव स्मरण उसकी तैयारी है । जो व्यक्ति For Private and Personal Use Only

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