Book Title: Mrutyu Chintan
Author(s): P M Choradia
Publisher: Akhil Bhartiya Jain Vidvat Parishad

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Page 15
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra ८ www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir के पांच तत्त्वों से बनता है और वह अब भी तुम्हारे सामने पड़ा है। अगर तुम को बाली के शरीर से प्रेम है तो ले जाओ इस शरीर को और रोना-धोना बन्द करो । अगर तुमको उसकी आत्मा से प्रेम है तो जान लो कि आत्मा अमर है । इसका कभी नाश नहीं होता। फिर तुम किसलिए इतना रो रही हो ?' श्रीराम का यह उपदेश सुनकर तारामती को सही ज्ञान हो गया । 'गीता' में श्री कृष्ण कहते हैं 'न जायते म्रियते वा कदा चित् ।' अजो नित्य शाश्वतोऽयं पुराणः ।' 3 शरीर जन्मता है, मरता है, किन्तु आत्मा न कभी जन्मती है और न कभी मरती है । वह तो अजर है, नित्य है, शाश्वत है । शरीर का जीवन मौत से घिरा है । आत्मा को तो मृत्यु कभी स्पर्श भी नहीं कर सकती । आत्मा मरती नहीं, केवल घर बदलती है । केवल शरीर का चोला बदलता है, पुराना वस्त्र उतारा और नया वस्त्र धारण कर लिया। इसमें रोने, विलखने और रंज करने की क्या बात है ? जीवन का सबसे सन्तोषप्रद सत्य यह है कि जीवन और मरण एक ही अनुभूति के दो पहलू हैं, अतः मृत्यु के प्रसंग पर शोक न करें । For Private and Personal Use Only

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