Book Title: Mrutyu Chintan
Author(s): P M Choradia
Publisher: Akhil Bhartiya Jain Vidvat Parishad

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Page 12
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir निकाल देना चाहिए। पंच तत्त्वों का यह पुतला एक दिन पुनः पंच तत्त्वों में मिल जाएगा, अतः इससे भयभीत रहना बुद्धिमत्ता नहीं है। मत्यु का मुकाबला डर कर नहीं, लड़ कर करो मृत्यु का क्षण जीवन में केवल एक बार आता है, लेकिन मौत का भूत मन-मस्तिष्क पर सदा सवार रहता है। मृत्यु से डरने से, रोने-पीटने एवं हल्ला-गुल्ला करने से वह हमें छोड़ तो नहीं देगी? शत्रु का मुकाबला डर कर नहीं, लड़कर करना चाहिए। अतः मौत से डरना नहीं, बल्कि लड़ना चाहिए। शत्रु को पराजित करने के लिए यह जानना अत्यन्त आवश्यक है कि शत्रु के पास कितनी शक्ति है, वह किस प्रकार आक्रमण कर सकता है, उसके मित्र कौन हैं जो उसे सहायता पहुँचा रहे हैं ? हमें रणनीति तैयार करनी पड़ती है और किसी भी परिस्थिति में शत्रु की अनदेखी नहीं की जा सकती है। ठीक इसी तरह मृत्यु का सामना करने के लिए भी हर समय जाग्रत रहने की आवश्यकता है। हर समय मृत्यु को याद रखें । ऐसा करने से हम सही जीवन जी सकेंगे। जीवनमरण के चक्र से छुटकारा पाने के लिए आत्मा में लगे कषायों को दूर करना होगा, तभी हम मृत्यु का सामना कर सकेंगे। For Private and Personal Use Only

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