Book Title: Mahavirashtak Pravachan Author(s): Bhagchandra Jain Bhaskar Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra View full book textPage 6
________________ प्रकाशकीय श्री महावीराष्टक-प्रवचन का मुद्रण करके आपके कर-कमलों में पहुँचाते हुए हमें अपार प्रसन्नतानुभव हो रहा है। इसका श्रेय जाता है - पण्डित रत्न विद्वद्वर्य श्री विजयमुनि जी महाराज को। उन्होंने ही वीरायतन में रहते हुए हमें यह सामग्री संप्रेषित की है। एतदर्थ हम गुरुदेव श्री के आभारी हैं। ___ सन्मति-ज्ञानपीठ, आगरा, हमेशा ही गुरुदेव श्री के प्रवचन-साहित्य का प्रकाशन एवं वितरण करता आ रहा है। प्रस्तुत प्रवचन-कृति"महावीराष्टक-प्रवचन" सभी के लिये समान रूपेण उपयोगी है। यह कृति भगवान् महावीर के जीवन को व्याख्यायित करने में सक्षम है। गुरुदेव श्री की प्रवचन शैली ने भगवान् महावीर के व्यक्तित्व, साधना और सिद्धान्तों को स्पष्टत: जनता जनार्दन के समक्ष रखा है। महावीराष्टक के बाद इस पुस्तिका में अमराष्टक और चन्दनाष्टक का भी मुद्रण किया गया है, जिसे पढ़कर सुधि भक्तगण आनन्दित एवं उल्लसित होंगे। जन-सामान्य हेतु उसका भावार्थ भी हिन्दी में दे दिया गया है। ___ आशा है भक्तजन, पाठकगण अवश्य ही इसका परायण करेंगे और भक्ति की सरिता में निमज्जित होंगे। ओमप्रकाश जैन मंत्री सन्मति ज्ञानपीठ, आगरा (v) Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.orgPage Navigation
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