Book Title: Mahavirashtak Pravachan
Author(s): Bhagchandra Jain Bhaskar
Publisher: Sanmati Gyan Pith Agra

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Page 42
________________ महावीराष्टक-प्रवचन | ३३ भागचन्द्र स्वयं समाधान दे रहें हैं—“निरापेक्षो बंधुः।” महावीर-स्वामी निरापेक्ष बन्ध हैं। उन्हें हमसे कोई अपेक्षा नहीं है। उनकी कोई मांग नहीं, अभिलाषा नहीं। वे तो पूर्णतया अनापेक्ष भाव से दे रहे हैं। किसी हेतु से प्रेरित नहीं हैं, कोई कारण नहीं । भगवान् की करुणा कारण के अभाव में भी अबाध गति से बहती जा रही है। ___ संसार में इससे विपरीत ही देखने को मिलता है। हर व्यक्ति को कुछ न कुछ अपेक्षा रहती है। परिवार, परस्पर में स्नेह-सद्भावना का केन्द्र है, किन्तु पुत्र की अपेक्षा है कि पिता उसके लिए सब कुछ करे । जीवन निर्माण का पूरा दायित्व है उनका। इतिहास प्रसिद्ध पुत्र कुणिक ने साम्राज्य के सिंहासन की अपेक्षा-पूर्ति के लिए अपने पिता को जेल में डाल दिया। __ पिता की अपेक्षा है-पुत्र उनकी सेवा करे, वृद्धावस्था में अच्छी तरह से संभाले। पति की अपेक्षा है-पत्नी मुस्कराते हुए द्वार पर स्वागत करे । पत्नी की अपेक्षा है-पति घर पर आते हैं, प्रेम से बात करें,गस्सा न करें। मेरे जीवन का भी कुछ मूल्य है। मनचाहा दहेज न मिला तो क्या बीतती है नवविवाहिता पर? अखबार के पृष्ठ रंगे रहते हैं दुर्घटनाओं की खबरों से। गुरु का शिष्य के प्रति स्नेह और शिष्य का गुरु के प्रति सम्पूर्ण समर्पण सहज और स्वभाविक है। अपेक्षा भरा खेल शिष्य अगर कामना रखता है कि गुरु का एकमात्र प्रिय-पात्र में ही बना रहूँ, मैं गुरु से भी महान् हूँ, तो इस अहं-पूजा की अपेक्षा में गुरु और संघ के विनाश के प्रयत्न हुए हैं देवदत्त और गौशालक के रूप में । उनकी अपेक्षा घृणित विराधना बन गई। कभी-कभी गुरु अपनी महत्त्वाकांक्षा की पूर्ति करने का भाव शिष्य में भरता है। उसके लिए एक शिष्य की श्रेष्ठता को उभारने के लिए दूसरों की श्रेष्ठता को बढ़ने नहीं देता। एकलव्य के साथ यही तो हुआ है। अपेक्षाओं से भरा है यह खेल। किससे अपेक्षा नहीं है? कोई मेहमान घर पर आए हों तो देखते हैं कि क्या उपहार लाए हैं? अच्छे-अच्छे उपहार की अपेक्षा है मेहमान से। किसी के यहाँ मेहमान बनकर गए, तब भी अपेक्षा है कि अच्छा-खासा स्वागत होना चाहिए। बढ़िया भोजन होना चाहिए। परिवार, सगे-संबंधी, मित्र, पड़ोसी, अतिथि, समाज-सबसे अपेक्षा है, प्रश्न है-क्या तुमसे भी किसी को अपेक्षा हो सकती है? क्या तुमने उसे पूरा किया है? Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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