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चन्दनाष्टकम्
छन्द : मालिनी
भगवति जिनराजे मोक्षमार्गे प्रविष्टे निखिल जगति व्याप्तं घोर नैशान्धकारम् । निजतरल प्रभाभिः नाशयन्ती सुजाता सकलजन- मनोज्ञा भास्वरा अंशुमाला ॥ १ ॥
भगवान् महावीर के निर्वाण के अनन्तर सम्पूर्ण विश्व में व्याप्त रात्रि के घोर अंधकार को अपनी तरल प्रभा से वदीर्ण करती हुई, सम्पूर्ण जनता को आनंदित करने वाली भास्वर किरणों की माला ( आचार्य श्री चंदना जी) का शुभ प्रादुर्भाव हुआ ।
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- प्रोफेसर राममोहन दास एम्. ए., पी. एच.डी., डी. लिट
अमरमुनि सुशिष्या तस्य सन्देशवाहा मलयगिरिसुकन्या चन्दनानामधेया । सकलजनसमाजे दह्यमाने त्रितापैः
जलभर - भरिताम्भोवर्षिनीलाभ - माला ।। २ ।।
श्री अमरमुनि के संदेशों को सर्वत्र प्रचारित करने वाली उनकी सुशिष्या तथा मलयाचल की सुपुत्री आचार्य श्री चन्दना त्रितापों ( दैहिक, दैविक एवं भौतिक) से जलते हुए सम्पूर्ण मानव समाज के लिए जल से परिपूर्ण काली घटा के सदृश वर्षा करने वाली है ।
अमलधवलवासा
सदयहृदयराज्ञी
पूत- चारित्र्यमूर्तिः
सर्वदा
स्मेरमुद्रा । तव मुखमकलंकं वीक्ष्य भक्त: चकोर: भवति विगततृष्णः लब्धदिव्यानुभूतिः ॥ ३ ॥
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