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३४ | महावीराष्टक-प्रवचन
तुम्हें जीवन मिला, चैतन्य हो तुम । किसको धन्यवाद दिया? रात्रि सोने के बाद सुबह उठे-किसके प्रति अनुग्रह प्रकट किया? बहुत से लोग हैं, जो सोने के बाद जगे नहीं; तुम जगे हो । स्वस्थ शरीर, अच्छी शिक्षा, अच्छा परिवार, अच्छे संस्कार, महान् संस्कृति एवं धर्म मिला है। बहुत कुछ मिला है, और अनायास मिला है । कभी श्रद्धा जगी, अनुग्रह प्रकट हुआ? "मैं बहुत अनुगृहीत हूँ,” कभी उल्लेख किया? न हमारी अपेक्षाओं के पूरा होने का सुख अनुभव किया, न हमने अपेक्षाओं की पूर्ति के दायित्व को पूरा किया। सब नकारात्मक है। जीवन का कोई पृष्ठ सकारात्मक नहीं बन पाया। वह प्रभु महावीर ही हैं, जिन्हें कोई अपेक्षा नहीं है। अपेक्षा नहीं है, इसका मतलब यह नहीं कि उपेक्षा की है, नहीं देने के लिए कोई बहाना खोजा है । सुपात्र-कुपात्र का कोई विकल्प नहीं उठा है। योग्यता-अयोग्यता की भी शर्त नहीं रखी है। अपने और बेगाने की भी रेखा नहीं खींची है। पवित्रता, श्रेष्ठता, उच्चता, ज्येष्ठता, आदि के किसी भी माप-दण्ड के आधार पर अनुक्रम बनाया है, ऐसा कुछ भी नहीं है। निरपेक्ष-दान
वह तो परमकृपालु हैं, परम कारुणिक हैं । जो पाया, उसे लुटाया। सब कुछ पाया, सर्वस्व लुटाया। किसी के निमंत्रण की अपेक्षा नहीं की। आकस्मिक रूप से, स्वयं आयाचित रूप से देते रहे । निरपेक्ष भाव से देते रहे।
हम अपनी भाषा में 'देना' कहते हैं, किन्तु वे महासूर्य हैं जो प्रकाश विकीर्ण करते रहे। वे महामेघ की तरह बरसते रहे। वे पावन गंगा हैं-बहते रहे। वे निरालम्ब आकाश हैं-छाए रहे। वे पुंडरीक हैं-सुगंध से भरे रहे। यह सब कुछ हआ-कल्पनाएँ अधूरी रह जाती हैं उन्हें बताने के लिए। विचार अधूरे हैं-सोचने के लिए। भावों में भी वे समा नहीं पा रहे हैं । विचारों में व्यक्त नहीं हो पा रहे हैं। असीम कल्पनाएँ उसका अवलोकन कर नहीं पातीं। भक्त को केवल इतना ही परिबोध हो रहा है कि उससे सब कुछ, पर उसने चाहा कुछ भी नहीं। वे निरपेक्ष बन्धु हैं, वे मेरे अपने हैं।
ऐसे प्रभु ! मेरी आँखों में समा जाओ। मैं तुम्हें बाहर कहाँ देखू, कहाँ ढूंदूं? तुम बहुत गहरे अन्तर् में विराजमान रहो।।
"उपसंहार" महावीराष्टकं स्तोत्रं, भक्त्या भागेन्दुना कृतम्।
य: पठेच्छृणुयाच्चापि स याति परमां गतिम्॥ भगवान् महावीर का यह आठ श्लोकों वाला स्तोत्र, भागचन्द्र ने बड़ी भक्ति के साथ बनाया है। जो साधक इस स्तोत्र का पाठ करेगा अथवा सुनेगा; वह परम गति को प्राप्त करेगा।
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