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भाई री बात मान र महावीर दो वरस तांई श्रीरु' घर मे रवण रो ते करियो । इग दो वरसां में महावीर भोग-विळास सू अळगा रेय' र आत्मचिन्तन करियो ।
दाता रे रूप में :
संजम लेग रै एक वरस पैलां सूं महावीर जरूरतमंद लोगां में आपरणी संपत्ति बांटणी सरु करी । वी नितहमेस एक करोड़ पाठ लाख सोना रा सिक्का दान में देवता । वी नी चावता के धन किणी एक ठोड़ एकठो हुवतो रे । धन समाज री सम्पत्ति है । उणरो उपयोग समाज खातर हुवण में इज गरी सार्थकता है ।
संजम है पथ पर : '
दो वरस पूरा हुयां पर्छ वर्धमान भाई नंदिवर्धन पर चाचा सुपार्श्व रै साम्हे दीक्षा अंगीकार करण रो प्रस्ताव राखियो | दोन्यू राजी राजी वर्धमान ने प्रव्रज्या अंगीकार करण री आज्ञा दीवी । वर्धमान र दीक्षा लेवण रा समीचार विजळी री दांई सगळा कानै फैलग्या । दीक्षा मोछव री धरणी त्यारिया हुई ।
मिगसर वद दसम रै दिन राजकुंवर वर्धमान मेहलां सू चन्द्रप्रभा नाम री पाळकी में विराज र ज्ञानखण्ड बाग में गया । वा रै पाछे - पाछै हजारां-लाखां लोग लुगाई मंगळ गीत गावता चाल्या । इण मोछव नै देखना खातर देवता भी धरती पर आया । सुपार्श्व पर नंदिवर्धन भी सागे हा वडेरा वर्धमान ने श्रासीसां टीवी |
वर्धमान पाळकी सू उतर अशोकव्रक्ष रे नीचे गया । वठे वरणा गिरस्ती रा गाभा उतार निग्रन्थ रो रूप धारण करियो । सब