Book Title: Mahavira ri Olkhan
Author(s): Hansraj Baccharaj Nahta
Publisher: Anupam Prakashan
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१४८
अधार्मिक प्रतिमावां रो सूतो रेवणो बाच्छो भर धरमनिष्ठ भातमावां रो जागतो रैवणी श्राच्छो ।
चत्तारि धम्मदारा - खंती, मुत्ती प्रज्जवे, मद्दवे । स्थानांग सूत्र ४|४
1
धरम रा चार दरवाजा है - क्षमा, सन्तोस, सरळता अर
दीवे व धम्मं
नम्रता ।
सूत्रकृतांग ६१४
धरम दीवा री भांत अज्ञान रूपी अंधारा ने दूर करें । सोही उज्जुन भूयस्स, चिट्ठई । उत्तराध्ययन सूत्र ३।१२
सरळ प्रातमा री इज सुद्धि हुनै अर सुद्ध आतमा में इज
धरम टिकै ।
धम्मस्स विणो मूलं 1
धरम रो
दश० हारारा
मूळ विनय है।
२. अहिंसा
सव्वे पारणा पियाउया, सुहसाया दुक्खपडिकूला अप्पियवहा । पियजीविगो, जीविउकामा, सव्वेसि जीवियं पिगं ॥ आचारांग सूत्र २|२|३|
सगळा जीवां ने आपणी प्रायुष्य वाल्हो लागे, सुख आच्छो अर दुख खराब लागे । मौत सगळा नै खराब र जीवरणो प्राच्छो लागे । हरेक प्राणी जीवा री इच्छा राखे । सगळा ने आपणो जीवन प्यारो लागे ।

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