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सम्भाळता । अनुशासन र नाम पर किशोरी भावनावां ग्रर स्वतंत्रता रोलोर व नी हुवतो | नेत्रा करण बाला या श्राज्ञा रो पाळण करशिया साबु यूं नीं सोचता के म्हानै यो काम जबरन करण पड़ है | सै श्रमण आत्मीय भाव सूं आपूत्राप सेवा करता अर श्राज्ञा से पाळण करता ।
केवलचर्या रो पैलो वरस
धरम संघ रो थरपणा कर, महावीर राजगृह र गुणसील चंत्य में आप साधु परवार ननेन याय ठहरिया | आर्या चन्दनवाळा घर ग्यारह बड़ा बड़ा विद्वान पंडितां रै श्रमरण दीक्षा अंगीकार करण र समांचारां सूं लोगां में तहळको मन्त्रग्यो अर धर्म रं प्रति वांरी आस्था जागी । महावीर ₹ पधारण री खवर सुरण राजा श्रेणिक, आपण राजपरिवार समेत प्रभु-दरसरण कररण ने चाया | महावीर रा उपदेस मुरग राजा श्रोणिक समकित लीवी अर राजकुंवर अभयकुमार श्रावक धर्म अंगीकार करियो ।
मेघकुंवर नै प्रातमबोध
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श्रेणिक पुत्र मेत्रकुवर पण भगवान् महावीर र दरसरण खातर आया। महावीर से उपदेन सुग्ग मेघकुंवर रो मन भोग सू योग कांनी मुड़ग्यो । वां ने ग्रापणो जीवन सफळ वरणावरण री कळा प्रभु मिलगी | मैत्रकुंवर भगवान महावीर रै चरणां में वदना कर र वोल्या - भगवन् ! म्हारी सोई आतमा जागगी है। श्रव म्ह परण दीना लेय ने साधना रैई मारग पर आगे बढ़ो चाऊ । प्रभु ! म्हन दीक्षा देवो ।
मेघकुंवर री भावना देख भगवान् वोल्या - देवानुप्रिय | जिरण मारग पर चालण में थारी आतमा नै सुख मिले, उण मारग पर बढ़ा में जेज मत कर ।