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यो जार सीहा मुनि ने अबुलाय लावो । वी म्हारी पीड़ा सूदुःखी होयर चिन्ता कर रखा है। प्रभु महावीर रीअाज्ञा पात्र श्रमण सोहा मुनि कने गया पर वान कह्यो-धर्माचार्य भगवान महावीर प्रापन वुलावै है।
सीहा मनि प्रभु रा चरणां में पांच'र वंदना करी । महावीर कमजोर सरीर नै देख वो उदास हो'र ऊभा रेयग्या । महावीर गेल्या-सीहा ! तूं चिन्ता मत कर । तेजोलेस्था रै प्रभाव सू म्हूं मरण पाळो कोनी । म्ह दीरघकाळ ताई इणीज पृथ्वी पर मोरु विचरण कल्ला ।पा बात सुण र सोहा अणगार वोल्या-भगवन ! म्हां भी प्रोईज चावां । आप किरपा कर बतायो के ई रोग रो काई इलाज है?
प्रभु वोल्या-मेढिया गांव में रेवती गाथापत्नी रे कनै ई रोग ने दूर करण री सोखध है। वी कुम्हडे सूवरिणयोड़ी पोखध म्हार खातरइज त्यार करी है। पण अमण प्रापणं खातर त्यार करयोड़ी कोई चीज लेवे कोनी-इण सूवा तो म्हारे कळपै कोनी पण टूजी मोखब बीजोरापाक किणी दूजा मतलव सूवणाई है । थां जाय ने वी मूवीजोरापाक री मांग करो। वी दवा रे उपयोग सूपा बीमारी ठीक हुय जावै ना।
भगवान रोपा बात सुण सोहा मुनि रेवती र घर गया पर वी सूवीजोरापाक री मांग करी । सुद्धोखध रो दान देयर रेवती भापणो मिनस्व जमारो सफळ करियो।
वों दवा रै उपयोग सू महावीर री तबियत ठीक हुयगी पर वा पेला री भांत सुख सं विचरण करण लागा।