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लेवै । ई खातर बीचरा बाईस तीर्थङ्करां चातुर्याम धरम (अहिंसा, सत्य, अस्तेय, अपरिग्रह) बतायो ।
___ इण भांत केसी मुनि इन्द्रभूति गौतम सूघणांई तात्त्विक प्रश्न पूछिया पर उणांरो संतोषप्रद उत्तर पाय'र घणा राजी हुया । वारी इण ज्ञान गोष्ठी सू श्रावस्ती नगरी में ज्ञान अर शील धरम रो घणो विकास हुयो। सभा मे ज्ञान चरचा सूणरिणयाँ लोग धरम मारग कानी प्रवृत्त हुया। राजर्षि शिव रो संशय-निवारण
भगवान महावीर मिथिला सू बिहार कर'र हस्तिनापुर पधारिया । अठारा राजा शिव घणा संतोषी पर धरम प्रेमी हा । वनि सुखोपभोग सू घृणा हुथगी। राज्य रो त्याग करर जंगल में जाय वी वल्कलधारी तापस वरणग्या अर घोर तपस्या करण लागा। लम्बी तपस्या सूवांनै विशेष ज्ञान उत्पन्न हुयो जिरणसू उरणां में सात समन्दर पर सात द्वीपां ताई देखण री खमता आयगी । वी लोगां नै कैवता-ईण संसार में सात समन्दर अर सात द्वीप ईज है, इण रै प्रागै कांयनी है।
तापस री पा वात जद गणधर गौतम सुणी, वां भगवान महावीर नै पूछियो-प्रभु! इण तापस री आ बात कठा ताई साची है ?
प्रभु कयौ-इण पृथ्वी पर असंख्य द्वीप पर अनेक समन्दर है।
तापस रै कानां में महावीर री आ बात पड़ी तो वां सोच्योम्हारै ज्ञान में कमी है। सर्वज्ञ महावीर रो कथन सांचो है। इण भावना रै सागै वी महावीर कनै आय'र उणारो उपदेस सुरिणयो। उपदेस सुणण सू वारो संसय मिटग्यो अर, उणां सू प्रभावित इयर वी महावीर रा शिष्य बरणग्या ।