Book Title: Mahakavi Bramha Raymal Evam Bhattarak Tribhuvan Kirti Vyaktitva Evam Krutitva
Author(s): Kasturchand Kasliwal
Publisher: Mahavir Granth Academy Jaipur

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Page 11
________________ श्री महावीर ग्रन्थ प्रकादमी, जयपुर एक परिचय जैनाचार्यों, भट्टारकों एवं विद्वानों ने देश की प्रत्येक भाषा में विशाल साहित्य की रचना करके धर्म एवं संस्कृति की सुरक्षा एवं उसके विकास में अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया है। इसी विशाल साहित्य को प्रकाश में लाने की दृष्टि से भगवान महावीर के २५०० में परिनिर्वाण वर्ष में साहित्य प्रकाशन की कितनी ही योजनाएं बनी । भारतीय ज्ञानपीठ देहली, विद्वत् परिषद्, साहित्य शोध विभाग, जयपुर, जन विश्व भारती लाडनू', शास्त्री परिषद् एव पचासों अन्य संस्थाओं ने धनेक महत्वपूर्ण पुस्तकों का प्रकाशन भी किया लेकिन इतने प्रयासों के उपरान्त भी हम हमारे विशाल साहित्य को जन साधारण तक नहीं रख पाये तथा विश्वविद्यालयों एवं महाविद्यालयों में कार्य करने वाले प्रोफेसरों एवं शोध छात्रों को अभीष्ट पुस्तकें उपलब्ध नहीं करा सके । इसलिये जब कभी विद्वानों, शोधार्थियों एवं पाठकों द्वारा किसी प्राचार्य एवं विद्वान् की अथवा किसी विशिष्ट विषय पर उच्चस्तरीय पुस्तक की मांग की जाती है तो हम इधर उधर देखने लगते हैं पर कभी-कभी एक दो पुस्तकों के नाम भी नहीं बता पाते। इसके अतिरिक्त प्राजकल जिस प्रकार साहित्य के विविध पक्षों के प्रस्तुतीकरण को नवीन शैली अपनायी जा रही है उससे हम अपने आपको कोसों दूर पाते हैं । उत्तरी भारत एवं विशेषतः राजस्थान, उत्तरप्रदेश, मध्यप्रदेश एवं देहली में स्थापित जैन ग्रन्थागारों में लाखों पाण्डुलिपियां संग्रहीत है। श्री महावीर क्षेत्र के साहित्य शोध विभाग द्वारा हस्तलिखित शास्त्रों की जो पांच भागों में ग्रन्थ सुनियां प्रकाशित हुई है उनसे हमारे विशाल साहित्य के दर्शन हो सके हैं तथा पचासों विद्वानों को साहित्यिक क्षेत्र में कार्य करने की प्रेरणा मिली है। लेकिन प्राकृत, अपभ्रंश, संस्कृत एवं हिन्दी में जिन प्राचार्यों एवं विद्वानों ने अनेकों ग्रन्थों की संरचना की है उनके विषय में सामान्य परिचय के प्रतिरिक्त उनका अभी तक न तो हम मूल्यांकन कर पाये है और न उनकी मूलकृतियों को प्रकाशित हो कर सके हैं

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