Book Title: Madhyam Siddh Prabha Vyakaranam
Author(s): Jinendrasuri
Publisher: Harshpushpamrut Jain Granthmala

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Page 12
________________ // 3 // असन्धिः // // 1 // प्लुतोऽनितौ। इतिवर्जे स्वरे प्लुतोऽसन्धिः, सुश्लोक 3 आगच्छ / / / 2 / / ह्रस्वोऽपदे वा / इवर्णादेविजातीयस्वरे परे वा ह्रस्वो, न चेदेकपदे, कुमारि अत्र / समासे नधुदकम् / . / / 3 / / ऋलति ह्रस्वो वा। समानानाम्, ब्रह्म ऋषिः, हस्वविधेर्नार् / // 4 // दूरादामन्त्र्यस्य गुरुर्वैऽकोनन्त्योऽपि लनृत् / देवदत्त देवंद ३त्त वा, ऋल वर्णयोः सावाल्ल नदिति / // 5 // हेहेष्वेषामेव। दूरादामन्त्र्ये स्वरः प्लुतः, हे३ मैत्र / इ 3 वा प्लुतः स्वरेऽसन्धिः, लुनीहीति लुनीहि३ इति / / / 6 / / ईदूदेद् द्विवचनी। ईदूदेदन्तं द्विवचनान्तं असन्धिः, मुनी अत्रा, साधू अत्र, माले आनय / / / 7 / / अदो मुमी। अदसो मुमी असन्धिः , अमी अत्र अमुमुईचः / // 7 / / चादिः स्वरोऽनाङ् / केवलश्वादिस्वरोऽसन्धिः आडं वर्जयित्वा, अ अपेहि,

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