Book Title: Madan Shreshthi Charitra
Author(s): Amolakrushi Maharaj
Publisher: Sukhlal Dagduram Vakhari

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Page 7
________________ ( ४ ) मिल, उजड़पुर नामक नगर में आता है । वहांपर बटपैचेंटना आदि महानकष्टाको सहन करताहुवा किसी एक स्थानपर करामाती एक जोगीको देख अपनी कार्यसिद्धीकेलिये उसका शिष्य बनजाता है, शिष्य बननेके बाद जोगी उसकी परीक्षा करनेकेलिये अर्धरात्रि के समय जहांपर रोनेका शब्द होताथा वहांपर मदनको भेजता है और स्वयंभी उसके पीछे छिपकर उसका साहस देखनेकेलिये चलदेता है । मदन जब श्मशान में पहुंचकर देखता है तो शूलीपर एक तरुण पड़ाढै और उसके नीचे बैठी हुई एक स्त्री रोरही है, उसके नजदीक पहुंचकर उसके रुदनअवस्थाके कारणको दूरकर स्वयं स्थानपर आकर उस जोगी से मिलता है। उससमय उस मदनके साहसको देखकर वह जोगी उसकी सहायतासे श्मशानमें विद्या साधनेकेलिये निश्चित तिथीकर कुछवस्तु लेनेकेलिये दोनों बाजार में चलेजाते हैं । रास्ते में शूलीपर चढ़ानेकेलिये लेजातेहुए निरपराधी एक व्यक्तीको निर्दोष ठहराकर साथमें उसकोभी लेआते हैं, इसकेबाद मदन उस जोगीके विद्यासाधनके समय में आयेहुए विघ्नोंको दूरकर पारितोषिक में मनोरथोंको पूर्ति करनेवाला ऐसा एक सुवर्ण पोरषको प्राप्त करताहै । बहांसे निकलकर जहां तहां परस्पर होतेहुए झगड़ों को शान्त करताहुवा चङ्गलानामकी नगरीमें कुछ दिनतक निवासकर उजड़े हुए नगरको जोगीकेसहित अपनी करामातसे बसा, कनकावती नामकी राजपुत्रीका पति बन, मन्त्रमन्त्रितजलको लेकर उस गुफामें आता है, जहांपरकि रूपवती और तोतेके रूपमें भद्रसेण था । लाये हुये उस जलसे उस जोगीको अशक्तकर उन दोनोंको साथ में ले उसी शहरमें आजाता है, जिस नगरसे राजकन्याको T

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