________________
|| लोकप्रकाश प्रथमः सर्गः ॥ (सा० २१) (३) आ ६ वृद्धिमा सबै जनावगशिओ अनुक्रमे मोटा मोटा प्रमाणमा ज प्राप्त था शके छे, ए प्रमाणे यथायोग्य ६ हानि पण विचारधी, नेनी अंक स्थापना आ प्रमाणे
धारोके १० प संख्यात छे, १०० अख्यान छ, अने १००० अनन्त छ अने एक निर्णीत राशि १ लाख (१००.०० मुटे तो
नियन राशि १००००० नो अनं० मी भाग (पटलं-१०००) २०० आवे ते अधिक करतां १००१०० अनंतभागवृद्धि,
नियतराशि 10000) नो असंख्यातमी भाग (पटले १०=) १000 आ ते अधिक करतां १1१000 ए अममयभागवृद्धि.
नियत राशि १००००० नो संख्यासमें भाग (पटले-१ =) १०००० आवं ते अधिक करतां ११०००० प संख्यभागवृद्धि __ नियतराशि १००००० ने समयान पदले १० घडे गुणतां १० लास्त्र आवे ते संख्यगुणवि.
नियतराशि १००००० में असंख्य पटले १०. बहे गुणतां १ कोड भावे ते (१०००००००) असंख्य गुणवृद्धि जाणवी.
नियतगशि १.०००० ने अनन्तगुण पटले १०५० घडे गुणतां (१.००४.200%) १० कोड आये ते अनन्तगुणवृद्धि जाणवी.
नियसगशि १०००० ने अमनल पटले १००० यडे भागतां १०० आवे मे १ लामाथी बाद करता ९९९०८ आधे ते अनम्तभाग हानि जाणघी.
नियतराशि १.०५८८ ने असंख्य पटले १०. बढे भागतां १००० आध ते १ लाखमांथी बाद करता ९९००० आवे ने असंख्यभागहानि जाणधी.
नियतराशि १.०५५० ने संख्यात पटले १० बढे भागतां १००० आधे ते १ लाखमाथी बाद करता २०.०० आवे से संख्यभागहानि.
(हवे मख्यगुणशानि पटले संख्यातगुण करीने आवली जबाय मूळराशिमांधी घटानको एको अर्थ मथी परन्तु गुण पटले भाग पत्री अदि पारिभाषिक अर्थ छ. माटे नियतराशिना संख्यात भाग पाडी तेमांनी १ भाग रा. खयो ते संण्यगुणहीन कहेवाय ए गुणहानिनु लक्षण छ, प ममाणे असंख्यगुण हामिमां असंख्य भाग पाडी १ भाग बाम्नी बीजा सर्व भाग घटाडा ते असंख्यगुणहानि अने अनन्तभाग पाडी ! भाग राखघो ते अनन्तगुणहानि कहे. वाय नेनी अंकस्थापना आ प्रमाणे
नियाराशि १०००.. ना असंख्यात भाग पाडतां संख्यात पटले १० थी भाग्ये दशहजार दशहजार (१८८५०) जेबडो एकेक भाग पाडे संघा १८
डेनमाथीरबाद करीज भाग राखतां 2000 हेते संख्यातगणहानि
मियतराशि १२००८० ना असंख्यात भाग पाडवा माटे असंख्यान पटले १०० थी भागतां १०००, १००८ (पकेक हज्वर) जेवहरे पकेक भाग पवा १०० भाग आश्या समाथी २९ भाग काढतां याकीनो १००० जेबद्धो १ भाग रदेवा