Book Title: Lokprakash
Author(s): Vinayvijay, 
Publisher: Sanghvi Seth Shri Nagindas Karamchand Ahmedabad

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Page 605
________________ (५६८ ) ॥ गुणस्थानद्वारे गुणस्थानेषु सत्पदमरूपणता दिद्वार विचारः । (बार [G] (६) मरण होय. ار (७) १२ माथी विशेषा धिक [१६२ ] " सर्व अप [४] सरण सह ११ माथी संख्य गुण (१०८) १- माथी संख्यगुण | (कोटपृथक्त्व) मरण होय । ४ थाथी अनंतगुग ( सिद्ध अघन्य -१ समय उत्कृष्ट अन्त मुहूर्त. " अजघन्यो- } अन्तर्मुहूर्त स्कूट जप- अन्तर्मुहूर्त उ०- ८ वर्ष ७ मात्र स्यून पुषकोड वर्ष अजघन्यो स्कृष्ट पच हस्त्राक्षरीधारकाळ [ अन्तर्मुहूर्त ] (९) |उपशम जिग| सजोषापेक्षया जय- अतमुंहत उत्कृष्ट देशोन अर्धपुलपरा पर्त را १२ मची नयी नथो

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