Book Title: Lokprakash
Author(s): Vinayvijay, 
Publisher: Sanghvi Seth Shri Nagindas Karamchand Ahmedabad

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Page 604
________________ ३. ॥श्रीलोकमफाशे तृतीयः सर्गः (सा० २३८) (५६७) - - - -- .. () र | अपूर्वकरण अपूर्व पत्र पांच फरपोलो प्रारंभ यत्राथी बग्नेने (बम्ने) प्रणिगत नी आपनार अनिवृत्ति बादरसंपराय अध्यवमायो सल्य होवाचो मिवृत्ति (फेरफार न होषाथी सुक्ष्मलपराय सुक्ष्म (लोम) कपायना उदयथी उपशान्तमोह | समोहनीय उप- | | शान्त होषाथी | उपशमणिगत क्षीणमोड | सबमोहनीय भय पामेली होवायो पकने | अपकणिगत | १३ | सोगिकेवलि योग सहित केवळ शान होषाथी अयोगिकषलि | योग रहिम केषर- शान होवायी , ।

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