Book Title: Lokprakash
Author(s): Vinayvijay,
Publisher: Sanghvi Seth Shri Nagindas Karamchand Ahmedabad
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३०९)
(५६५)
॥श्रीलोफमकाशे तृतीयः सर्गः (सा. २३८)
॥ गुणस्थान यन्त्रकम् ।।
।
गुणस्थानना । कया गुणने |क्षपकने होय | अणिगत | परमषमा साथे अंगे प नाम |
| आषनार के नाम
उपशमकमे?
| अश्रेणिगत ? मदि आवणार?
। .
पियारव
मिथ्यावमोहनीयना | पक्केने नहि | कोई महि । साथै आवनार उदयथो
सास्वादन
अमम्माना उदय वडे सम्यवान घमन यषाथी
३ । मित्र
मिनमोहमीय ना उदयथो.
नहिं आवनार
. ! - । । ।
। अविरत असारहित स. सम्पबुष्टि
होधायी.
म्यत्व
थिकम्प श्रेणिगत
आकनार
५ । देशषिरत
| अम पूर्ण प्रत ! होवायो
महिं भावनार
।
६ ।
प्रमश
| निद्रादिस्पष्ट | प्रमा
होवाथी
। ।
अपमस
निद्रादिप्रमाद (स्पष्ट) नहि होवाथो
.

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