Book Title: Lokprakash
Author(s): Vinayvijay, 
Publisher: Sanghvi Seth Shri Nagindas Karamchand Ahmedabad

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Page 585
________________ - - - - - (५४८) ॥ गुणस्थानद्वारे गुणस्थानेषु स्पर्शनाखारविचारः॥ [द्वार लक्ष्मणना जीवनी वेदना शमाववा गया हता तेमपण बघनछे तो ते अभिप्राये पूर्व का बतावेन अनुत्तर विमानमा जता आवतानी अपेक्षाये सातराजस्पर्शना भने चोथी नरकसुधीनी ऋणराजाना मली इला राजपना धिरे विशेषस्वरूप पण जाप, वली श्रीभगवतीजीमा सातमी पृथ्वीना नीचेना प्रदेशमधी पण वैमानिकदेवोर्नु गमन कांछे. तो ने अपेक्षाये चौद राज स्पर्शना पण संभवीशके ? इत्यादि अपेक्षाभेदे अनेक तारतम्य संभवीनके पण अनेकशास्त्रोमां त्रीजी नरकसुधीज बैमानिकदेवोनु गमन कांछे, जेथी ने अपेक्षाये आठराजनी स्पर्शना बतावी ले. (२) साम्वादनसम्यग्दृष्टि गुणस्थानवालाने वारराजनी स्पर्शना होयछे, तेनी भावना नीचेप्रमाणेजाणवीछठी तमापभा पृथ्वीमा वततो कोड नारकजीव पोताना भवना अन्न्यविभागमा औपशमिफसम्यक्त्त्व पामी ने वमनो सास्वादनभावने पामे अने तेज सास्वादनअवस्थामां काल करीने अहीं तियेच अथवा मनुष्योमां उत्पभधाय तेथी लेने पांचराजनी स्पर्शना थाय, अहींथी सास्वादनभावसहित काल करी नारकमां उत्पन्नधाय नहि जेथी अहींथी जतानी स्पर्शना कही नथो, सातमी नमस्तमःमया नरकना नारकी सास्वादनलाभ पाम्या डोयतो ते त्यागकरीनेज नियचोमा उत्पन्न थाय सास्वादनसहित काल करे नहि, माटे छठीनरफना नारकी लीघाछे अने आ तिर्यग्लोकमांथी पण सास्वादनगुणस्थानमा वर्तता केटलाक तियंचों अथवा मनुप्यो काल करीने ऊर्ध्वलोकना उपरना लोकान्तनिष्कुटोरूप स. नाडौना उपरना लोकान्तप्रदेशोमा उत्पन्न थायछे नेथी तेमने सातराजनी स्पर्शना घटेले पटले नीचेनी पांचराजनी अने उपरनी सातराजनी ए उभय मली सास्वादनमुणस्थानवाळाओने वारराजनी स्पर्शना थायले. सास्वादनवाळानी नीचे गति थती नथी जेथी बारगजनी म्पर्शना फहीछे तेज घटेछे, जो नीचे गति सास्वादनचाळानी धतो होततो अधोलोकनिष्कुटादिमा पण तेओना उत्पादनो संभव थान अने तेम धातनो चौदराजनी स्पर्शना पण कहेवी जोइये. आप्रमाणे ग्रन्थान्तरोमां जणाव्यु के-के अधोलौकिकपृथ्वीकायिकादिमा सास्वादनवाळो जनो नयी, जो जतो होयतो क्यारं स्पर्शना पण लाभत. (६थी ११) उपशमश्रेण्यारुढ अपूर्वकरण आठमुं गुणस्थान, नव अनिवृत्तियादरगंपरायगुणस्थान दशर्मू मध्मसंपरायगुणस्थान,अगीयार उपशान्तमोह

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