Book Title: Lokprakash
Author(s): Vinayvijay, 
Publisher: Sanghvi Seth Shri Nagindas Karamchand Ahmedabad

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Page 575
________________ (५३८ ॥गुणस्थानकडारे गुणस्थानानांकालनियमविचारः॥ बार ते युक्तम छ ॥ १० ॥ली सास्वादन गुणस्थान तो हेला (इथियारना वर्णन है प्रसंगे ) आवलिका प्रमाण कोलज छे, अने ४-धुं गुणस्थान साधिक ३२' सागरोपम प्रमाण के ॥ ९१ ॥ कारणके सर्वार्थसिद्धदेवपणामां ३३ सागरोपमसुधी अविरत सम्यवत्व धारण करीने त्यांयी अर्हि मायेलो पण ते जीव || ९२ ॥ जे कारणथी ज्यांसधी जी विरतिमुणस्थान पाम्यो नथी स्यांसुधी ते जीव घो\ गुणस्थामज अंगीकार करीने रहे छे ।।२३१३-में अने ५-मुंए वे गुणस्थान कंडक न्यून नव वर्ष न्यून पृचत्रोह वर्षप्रमाण कहेला छे ॥ ९४ ॥ छेल्लं गुणस्थान ङ प्र ण न म ए पांच अक्षरोने अति विलंब रहित अने अति शिघ्रता रहिन उन्नार करे तेटला काळपमाणर्नु छ । ९५ ॥ अने शेष आठे गुणस्थान अन्तर्मुहूर्त प्रमाणना छे. अने केटलाक आचार्य कहे छे के-छई ने सान, चे गुणस्थान कइकन्यून पूर्वप्रोड वर्षप्रमाण छे ॥ ९६ ॥ श्री भगवतीमत्रमा का छे के-" हे भगवन् ? प्रमत्त संयममा वर्तता प्रभत्तमुनिनो सर्वे मळीने प्रमानकाळ केटलो होय ? उत्तर-हमंडित ? (१० मा गणधर) एक जीवनी अपेक्षाए जघन्यथो १ समय अने उत्कृष्टयों कइफन्यून पूर्वक्रोरवर्ष, अने अनेक जीवनी अ-* पेक्षाए सर्वकाळ." ए मूळ सूत्रमी टीका आ प्रमाणे २-"जघन्य १ समय ते केवी रीते कहेवाय १ ते. कहीए छीए के प्रमत्तसंयतपणुं (६-९ गुणस्थान ) अंगीकार कर्याना समरथी अनन्तर समयेज मरण पामवायी (जघन्य १ समय .) इचे देशोन पूर्वकोड वर्ष केवी रीते ? ते कडेवाय छे के–ममत्त अने अप्रमत्त ए वेमार्नु प्रत्येक गुणस्थान निश्चये अन्त महत प्रमाणर्नु छे, अंने परस्पर परावृत्ति (अदल बदल ) थवाथी उत्कृष्टपणे कंइक न्यून पूर्वक्रोड वर्ष पर्यन्तनां छे. एमां अभभत्तना अन्तर्मुहूर्तनी अपेक्षाए ममत्तपणानां अन्तर्मुहर्त मोटो कल्पाय छे. अने ए प्रमाणे अन्तमहत प्रमाण प्रमतकानां सर्व अन्तर्मुहतों मेळवता (मसन) देशीन पूर्वकोड वर्षप्रमाण काळमान याय छे. बकी बीजाआचार्यों काहे छ के- आठ वर्ष न्यून पूर्व कोडवर्ष सुधी (सततपणे) उत्कृष्ट प्रमत्तसंयतपणुं होय छे, अने प प्रमाणे अममत्त भू १ सामान्यतः सम्यक्त्व ५६ सागर बा १३२ सागर अधिककाल प्रमाणर्नु छ, पण चतुथ गुण स्थान पणुप्तो साधिक ३३ सागर बाद अवश्य पलटायचं. २ अप्रमत्सनां देशोभपूर्वकोटी सुधीनां नानां नानां सर्व अन्तर्मुहूतने पकटा करतां पण मात्र । अन्तर्मुर्त मेटलोज अप्रमत्त पणानो संघ कठिन काळ याय कारणकै अप्रमत्त पणान अन्तर्मुहर्त परखं वधु नानुज छे. अने ते बाद करता घरकीनो सर्प काल प्रयतनो छ जेथी देशोमपूधकौटि वर्ष पमतमो काळ थाय.

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