Book Title: Kya Pruthvi ka Aakar Gol Hai
Author(s): Abhaysagar
Publisher: Jambudwip Nirman Yojna

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Page 8
________________ समान लम्बी रेखाओं द्वारा बनाया गया है उसमें ऊँचा नीचापन नहीं है, इस लिये गोल पृथ्वी पर भी पानो समतल स्थित है." तो यह उपयुक्त नहीं। क्योंकि समतल पानी में कहीं गढढे भी नहीं होने चाहिए जब कि आज के वैज्ञानिकों को मान्यतानुसार यत्र-तत्र पानी में गड्ढों की स्थिति स्वीकृत है। उदाहरणार्थ-दक्षिणी उत्तरी पोलों में पृथ्वी का व्यास २६ मील कम अर्थात् ७९०० मील माना गया है तो १३ मील एक ओर को नोचाई में गड्ढा हुमा तब उसमें पानी भरा रहना चाहिये। और यदि भरा हुआ माना जाय तो पृथ्वो का व्यास ७९२६ मोल का कहना चाहिए और पोलों में बर्फ अथवा पृथ्वो मानी जाए तो पृथ्वो का व्यास ७६२६ मोल से अधिक मानना चाहिए क्योंकि बर्फ अथवा पृथ्वी पानो से ऊपर हो रहते हैं। और ऐसा मानने पर पृथ्वी का दक्षिणोत्तर व्यास ७६०० मोल का मानना असत्य सिद्ध होता अब यह कहा जाय कि-जैसे पानी का भरा हुमा लोटा तेजी से ऊपर नीचे घुमाया जाय तो उसमें गढ्ढा पड़ जाता है वैसे ही पृथ्वी घूमती है इस लिये दोनों ओर गड्ढे पड़ने से यह चपटी हो गई है, तब इसका जो व्यास माना गया है उसमें कोई विरोध नहीं आएगा। किन्तु यह कथन भो प्रमाण संगत नहीं प्रतीत होता । क्योंकि लोटे का घुमाव तो ऊर्जा Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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