Book Title: Kya Pruthvi ka Aakar Gol Hai
Author(s): Abhaysagar
Publisher: Jambudwip Nirman Yojna

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Page 24
________________ (१६) दूरी पर देख सकते हैं । अतः यह स्थितिपृथ्वी गोल हो तभो हो सकती है। किन इस प्रकार आकाश और पृथ्वी का मिलन दिखाई देना भी एक प्रकार का दृष्टि दोष हो । क्योंकि ___ आंखें सदा देखते समय दिखने वाली चीज के साथ ४५ डिग्रो का कोण बनाती है - इसलिए ऊपर आसमान गोल गुम्बज जैसा दिखता है और जिधर भी झुका हुअा गोलाई का हिस्सा दिख रहा है वहीं पहुँचने पर वह भी गोल गुम्बज जैसा दिखाई पड़ता है इस का कारगा भो ४५ डिग्री का दृष्टिक्षेत्र हो है । इसी प्रकार चारों ओर दिशाओं एवं विदिशामों में तथा ऊपर भी चारों दिशा-विदिशाओं में ४५ डिग्री तक दृष्टिक्षेत्र है जो वृत्ताकार शुम्बज सा दिखता है। उसी प्रकार पश्चिम दिशा में खड़े हुए मनुष्य को दक्षिण दिशा पूर्व ज्ञान होमो तथा उत्तर की भोर खड़े हुए मनुष्य को. ऊपर आसमान .. दिखना है.। ... क्षितिज इस रूप में दिखबा है। Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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