Book Title: Kya Pruthvi ka Aakar Gol Hai
Author(s): Abhaysagar
Publisher: Jambudwip Nirman Yojna

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Page 23
________________ ( १८ ) दूसरी बात यह भी है कि 'अप्रकाशित वस्तु की अपेक्षा प्रकाशित वस्तु (दीपक आदि तेजोमय) बहुत दूरी से देखी जा सकती हैं जैसे कि 'हेदेरास को भूशिर को लाइट हाउस ( दोवादग ) का दीपक ४० मील की दूरी से देखा जा सकता है।' यदि पृथ्वी गोल हो, तो पृथ्वी के गोलाकार भाग के वोच में प्राजाने से दीपक दिखाई नहीं देगा । पृथ्वी का गोलाकार यदि बोच में आता हो, तो ६०० फुट से नीचे रहने बाला दीपक ४० मील दूर स्थित कभी नही दिखाई देगा। इस दृष्टि से समुद्र में दूर जाने वाला जहाज और पर्वत या मीनार आदि पर स्थित वस्तुएं क्रमशः दूर दूर होने पर छोटी दिखाई देतो है पार ४५ अंश से प्राधिक दूर हाने पर उनका दिखना बन्द हो जाता है। पृथ्वो गोल हाने के साथ एक अन्य तर्क यह दिया जाता है कि (३यदि किसी खुले मैदान में खड़े रह कर बहुत दूर तक दृष्टि डालते है तो आकाश और पृथ्वी दोनों एक दूसरे से से मिलते हुए दिखाई देते हैं, इसे क्षितिनज रेखा कहते हैं। यह क्षितिज रेखा सदा गोलाकार हो दिखाई देतो है तथा हम जसे २ अधिक ऊँचाई पर जाते जाएंगे वैसे ही हम अधिकाधिक Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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