Book Title: Kya Pruthvi ka Aakar Gol Hai
Author(s): Abhaysagar
Publisher: Jambudwip Nirman Yojna

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Page 31
________________ (२६ ) ज्ञान हमें जा बातें बता रहा है उनके प्रति हम निरपेक्ष न हों। भले ही सत्वतत्व को जिज्ञासा को कसोटी पर चढ़ा कर सोचने की कोशिश करं, परन्तु सीमित बुद्धि एवं साधनों के कारण यदि तत्त्वज्ञान की बातों का यथार्थ निर्णय कर नहीं पायें तो अंगूर खट्टे हैं, वाली बात न करते हुए हमें सदा तीब्र जिज्ञासा के साथ सत्य की दिशा में आगे बढ़ने की चेष्टा करनी चाहिए। बदसः इस लघु पुस्तिका के आलेखन के पीछे यही शुभ कामना है। विज्ञ पाठक गण इसे सफल बनायें। ।। शिवमस्तु सर्व जगतः ॥ Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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