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तीन लकड़ियों का प्रयोग किसी ने कपोल-कल्पित बनाया है।
यदि ऐसा हो प्रयोग नौ लकड़ियों द्वारा करके देखे तो कभी भी तो ऐसा नही होगा कि प्रारम्भ की तीन लकड़ियों के बाद सभी नीची न दीखकर पांचवी लकड़ी ही ऊची दोखने लगे.? अतः यह तर्क: अप्रमाणित ही माननाः माहिए ।
शुडलर अपनी पुस्तक " बुक ऑफ ने उच" [प्रकृतिपुस्तिका ) में कहता है कि सचमुच निरीक्षण के पश्चात हम यह कह सकते हैं । कि अन्य आकाशीय पदार्थ गोलाकार हैं अतः बिना किसो ननु नच" के यह विश्वास पूर्वक कहा जा सकता है कि पृथ्वी भो वैसी ही गोलाकार है।
किन्तु यह अनुमान करना उचित नहीं है क्योंकि आकाशोय पदार्थों को गोलाकार सिद्ध करने के लिये कोई आधार नहीं है और पृथ्वी आकाशीय पदार्थ है यह भी अब तक प्रमाणित नहीं हो पाया है। अतः इस प्रकार के अनुमान सर्वथा निराधार हैं। उपसंहार--
इस प्रकार विज्ञान द्वारा प्रायः प्रमाणित माना जाने वाला पृथ्वी के गोल आकार का सिद्धान्त तर्क एवं बुद्धि की कसौटी पर निखरता नहीं है।
अभी इसके वारे में पर्याप्त सशोधन अतेक्षित है।
जब तक विज्ञान पृथ्वी के सही आकार के सम्बन्ध में अपना अभिमत स्पष्टरूप से प्रकट न करे तब तक अन्तर की सूझ के आधार पर निर्भरित प्रात्मशक्ति से निखरा हुआ तत्व
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