Book Title: Kya Pruthvi ka Aakar Gol Hai
Author(s): Abhaysagar
Publisher: Jambudwip Nirman Yojna

View full book text
Previous | Next

Page 21
________________ ( १६ ) वैज्ञानिकों के इस तर्क को वास्तविक मान लें तथा पृथ्वी के भाग को आवरण के रूप में आया हुआ मानकर जहाज का न दिखाई देना भी मान लें. तो प्रश्न होता है कि पृथ्वी पर पक्षी, पतंग और वायुयान आदि चीज जितनो बड़ी दिखाई देती हैं, वे चीजें जब आकाश में ऊँचाई पर पहुँच जाती हैं, तब वे भी क्रमशः लघु, लघुतर और लघुतम दाखने लगती हैं और पर्याप्त ऊँचाई पर पहुँच जाने पर अदृश्य भी हो जाती हैं। इसी प्रकार किसी ऊँचे पर्वत अथवा मीनार पर खड़ा हुआ मनुष्य बहुत ही छोटा वामनाकार दृष्टि गोचर होता है, तो इन सब के बोच कौनसा पृथ्वो का गोलाकार भाग आ जाता है ? नीचे खड़े रह कर देखने वाले मनुष्य और पर्वत पर स्थित मनुष्य के बीच अथवा आकाश में पर्याप्त ऊँचाई तक पहुँचे हुए पक्षी-पतंग या वायुयान के बीच पथ्वी का कोई भी गोलाकार भाग आवरण के रूप में उपस्थित नहीं होता है किर भो ने क्रमशः अत्यन्त छोटे और सनथा अदृश्य हो जाते हैं इसका क्या कारण है ? इस पर विचार करने से ज्ञात होता है कि जिस प्रकार उपयुक्त वस्तुओं की लघुता अथवा अदृश्यता में पथ्वी का गोलाकार कारण नहीं है, उसी प्रकार समुद्र में दूरी पर पहुचे हुए जहाज Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

Loading...

Page Navigation
1 ... 19 20 21 22 23 24 25 26 27 28 29 30 31 32 33 34 35 36 37 38