Book Title: Kya Pruthvi ka Aakar Gol Hai
Author(s): Abhaysagar
Publisher: Jambudwip Nirman Yojna

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Page 19
________________ ( १४ ) देती है और यह छाया पृथ्वो को हो है इससे निश्चय होता है कि पृथ्वी गोल है। किन्तु पृथ्वी की गोलाई को मिद्ध करने के लिये दिया गया यह तक उचित नहीं है। क्योंकि एक अन्य मान्यता के अनुसार चन्द्र पर गिरने वालो यह छाया पृथ्वो की न होकर चन्द्र के नीचे राहु का विमान होने से राहु के श्याम रग के पीछे चन्द्र ढंक जाता है और उसी से चन्द्रग्रहण होता है । पोर यदि राहु का विमान गोल हो तो उससे भो चन्द्र पर गोल प्रतिच्छाया जैसा दीखसकता है। यहाँ क्या अकाट्य तर्क है कि चन्द्र पर छाया पृथ्वी की ही है अन्य किसी वस्तु को नहीं ? साथ हो दि० ३०-८-१९०५ ई० को जो सूर्यग्रहण हुआ था वह पश्चिमी-उत्तरी अफ्रिका, उत्तरी अन्ध-महासागर ग्रीनलेण्ड, आइसलेण्ड, उत्तरी एशिया, साइबेरिया और ब्रिटिश अमेरिका के सम्पूर्ण भागों में दिखाई दिया था तो अमरीका और एशिया में एक साथ सूर्य ग्रहए। कैसे दीखा जब कि पृथ्वी की गोलाई बीच में रहती हो? अतः स्पष्ट है कि पृथ्वी गोल नहीं है। पृथ्वो के एक भाग पर सर्य हो और दूसरे भाग पर चन्द्र हो और ये दोनों परस्पर पूर्णरूपग एक दूसरे के समक्ष हों तथा प.ध्वी बीच में हो तभी न्यूटन के सिद्धान्तानुसार Shree Sudharmaswami Gyanbhandar-Umara, Surat www.umaragyanbhandar.com

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